Sugar Sweetened Beverages: डायबिटीज को न्योता देते हैं बाजार में मौजूद मीठे एनर्जी ड्रिंक्स, रिसर्च में आए चौंकाने वाले नतीजे, पीने से पहले जान लीजिए
इस स्टडी के डाटा को रीजन, देश और इंडिविजुअल में बांटकर और गहराई से अध्ययन किया जा सकता है. साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि आमतौर पर हम कितने ऐसे बिवरेज खाते हैं जिनमें शुगर बिवरेज होता है.
Sugar Sweetened Beverages: खुद को एनर्जेटिक रखने के लिए आप जो एनर्जी ड्रिंक पीते हैं, क्या वो सेहत के लिए फायदेमंद है. सिर्फ एनर्जी ड्रिंक ही नहीं बाजार में मिलने वाले पैकेट बंद फ्रूट जूस, शरबत जैसी चीजें क्या सेहत के लिए फायदेमंद हैं. खासतौर से जब उनके कंटेंट में शक्कर भी शामिल हो तब. नेचर मेडिसिन नाम की मैगजीन में छपी ताजा रिपोर्ट में इस बारे में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. जिस में शुगर स्वीटन्ड बेवरेजेस का टाइप 2 डाइबिटीज और कार्डियो वस्कुलर डिजीज पर असर देखा गया है.
ऐसे प्रोडक्ट का ग्लोबल इंपैक्ट जानने के लिए 184 देशों से डाटा कलेक्ट किया गया. 2020 में हुई इस रिसर्च में सामने आया कि शुगर स्वीटन्ड बेवरेजेस की वजह से दुनियाभर में अंदाजन 9.8 प्रतिशत टाइप 2 डायबिटीज के केस और 3.1 प्रतिशत कार्डियोवस्कुलर डिजीज के केस सामने आते हैं. इस स्टडी के डाटा को रीजन, देश और इंडिविजुअल में बांटकर और गहराई से अध्ययन किया जा सकता है. साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि आमतौर पर हम कितने ऐसे बिवरेज खाते हैं जिनमें शुगर बिवरेज होता है.
कितने मीठे पेय पदार्थ कंज्यूम करते हैं लोग? How Many Sugary Beverages Do We Consume?
इस रिसर्च को करने से पहले रिसर्चर्स ने ये जाना कि ग्लोबल लेवल पर लोग कितने शुगर बेवरेजेस यानी कि मीठे पेय पदार्थ या पदार्थ का सेवन करते हैं. जिसमें सामने आया कि सोडा सबसे ज्यादा फेमस ड्रिंक है. जिसका पोटेंशियल रिस्क सबसे ज्यादा है. फिर भी लोग सोडा खूब पीते हैं.
स्टडी के लिए यूज किए गए डाटा बेस में 118 देशों के 2.9 मिलियन लोगों को शामिल किया गया. रिसर्च में दावा किया गया है कि ये ग्लोबल पॉपुलेशन के 87.1 प्रतिशत लोगों को रिप्रेजेंट करते हैं. इस रिसर्च में ऐसे पेय पदार्थों को शामिल किया गया जिसमें शुगर की मात्रा आठ औंस हो या फिर जिन्हें कंज्यूम करने से पचास से ज्यादा कैलोरी बढ़ती हो. हालांकि इस रिसर्च में ऐसे प्रोडक्ट शामिल नहीं किए गए जो सौ फीसदी फल या सब्जी के जूस से बने हों या मीठे दूध से बने हों या फिर आर्टिफिशियल स्वीटनर से बने हों.
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रिसर्च में पता चला कि अलग अलग देश या रीजन में लोग आठ औंस शुगर वाले पेय पदार्थों का दो या ढाई बार सेवन करते हैं. किस देश में या रीजन में कितने शुगर बेवरेजेस कंज्यूम किए जाते हैं, रिसर्च में इसका डाटा भी शेयर किया गया है.
इसके साथ ही रिसर्च में ये भी सामने आया है कि औरतों के मुकाबले पुरुष ज्यादा शुगर स्वीटन्ड बिवरेजेस कंज्यूम करते हैं. बात करें एजेड और युवा लोगों की तो शुगर स्वीटन्ड बिवरेज कंज्यूम करने वालों में यंग लोगों की संख्या ज्यादा है. मीठे पेय पदार्थ पीने के शौक पर एजुकेशन लेवल का असर भी साफ नजर आया.
कार्डियो वस्कुलर डिजीज और डायबिटीज का खतरा
किस देश में लोग कितने मीठे पेय पदार्थ कंज्यूम करते हैं, ये जानने के बाद रिसर्च में ये अध्ययन किया गया कि इसका कार्डियो वस्कुलर डिजीज और डायबिटीज पर कितना असर पड़ता है.
रिसर्च में शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि टाइप 2 डायबिटीज के करीब 2.2 मिलियन नए केस और कार्डियो वस्कुलर डिजीज के करीब 1.2 मिलियन केस इन्हीं मीठे पेय पदार्थों की वजह से सामने आ रहे हैं. इस रिसर्च में ये भी बताया गया है कि शुगर स्वीटन्ड बिवरेजेस की वजह से 5.1 परसेंट लोग टाइप टू डायबिटीज का शिकार होकर मर जाते हैं. वहीं कार्डियोवस्कुलर डिजीज की वजह से 2.1 परसेंट लोगों की डेठ होती है.
इसकी वजह से अलग अलग देशों पर अलग अलग प्रभाव पड़ा है. उदाहरण के लिए मेक्सिको, कोलंबिया और साउथ अफ्रीका में सबसे ज्यादा टाइप टू डायबिटीज और कार्डियो वस्कुलर डिजीज के पीड़ित मिले. लेटिन अमेरिका और कैरेबिया भी इस मामले में पीछे नहीं है.
ग्लोबल लेवल पर बात करें, तो रिसर्चर्स का मानना है कि मीठे पेय पदार्थों की वजह से पुरुष सबसे ज्यादा टाइप टू डायबिटीज का शिकार होते हैं. ये लोग ज्यादा हाइली एजुकेटेड और अर्बन एरिया को बिलॉन्ग करते हैं.
इसके अलावा कम उम्र के लोगों में ऐसे बेवरेजेस की वजह से टाइप टू डायबिटीज होना का सबसे ज्यादा खतरा बीस साल की उम्र में होता है. इस रिसर्च के मुताबिक शुगर स्वीटन्ड बिवरेजेस की वजह से टाइट 2 डायबिटीज के केस में 1.3 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. वो भी साल 1990 से 2020 के बीच में. ये मामले सबसे ज्यादा अफ्रीका के कुछ इलाकों में नजर आए हैं. गौर करने वाली बात ये है कि कार्डियो वस्कुलर डिजीज के केस में कुछ गिरावट आंकी गई है.
मीठे पेय पदार्थों की जगह करें इन चीजों का सेवन
रिसर्च के बाद एक्सपर्ट की राय है कि शक्कर से बनने वाले बेवरेजेस के सेवन में कमी लाने की सख्त जरूरत है. सेंट्रल अमेरिका के मेमोरियल केयर सादडलबैक मेडिकल सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर Cheng Hang Chen के मुताबिक मीठे पेय पदार्थों के सेवन में कमी लाने के लिए पब्लिक पॉलिसी एफर्ट लगाने की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि रिसर्च में जगह के हिसाब से बताया गया है कि ऐसे ड्रिंक्स की वजह से टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियो वैस्कुलर डिजीज का खतरा कहां कितना ज्यादा है. उसी के अनुसार प्लानिंग करने और जागरुकता फैलाने की जरूरत है. उन्होंने ये भी कहा कि लोगों को अपने अपने स्तर पर भी ऐसे पदार्थों के सेवन पर लगाम कसनी होगी.
उन्होंने सलाह दी कि ऐसे ड्रिंक्स से बेहतर है कि लोग सिर्फ सादा पानी ही पिएं. या फिर घर पर बनी आईस टी पी सकते हैं. स्पार्कलिंग वॉटर भी इसका अच्छा ऑप्शन हो सकता है. उनकी सलाह है कि ऐसे पेय पदार्थों को हेल्दी डाइट का हिस्सा बिलकुल न मानें.