रेडियोथेरेपी के बाद कैसे मरती हैं कैंसर सेल्स, डीएनए रिपेयर से चलेगा पता : स्टडी

सीएमआरआइ जीनोम इंटीग्रिटी यूनिट के प्रमुख टोनी सेसरे ने कहा, "हमारे रिसर्च का रिजल्ट आश्चर्यजनक है. रिजल्ट में सबसे खास बात डीएनए की मरम्मत है, जो आमतौर पर हेल्दी सेल्स की रक्षा करती है, यह बताती है कि रेडियोथेरेपी के बाद कैंसर कोशिकाएं कैसे मरती हैं."

जनवरी 15, 2025 - 08:06
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रेडियोथेरेपी के बाद कैसे मरती हैं कैंसर सेल्स, डीएनए रिपेयर से चलेगा पता : स्टडी

ऑस्ट्रेलियाई रिसर्च से पता चला है कि डीएनए की मरम्मत से यह पता लग सकता है कि रेडियोथेरेपी के बाद कैंसर सेल्स कैसे मरती हैं. एक नए रिसर्च में यह पता चला है, जो कैंसर के इलाज को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है. इससे कैंसर इलाज में सफलता की दर का भी पता चलेगा. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सीएमआरआई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि रेडियोथेरेपी के बाद कैंसरग्रस्त ट्यूमर कोशिकाएं कैसे मरती हैं, यह जानने के लिए सिडनी के चिल्ड्रन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमआरआई) के वैज्ञानिकों ने लाइव सेल माइक्रोस्कोप तकनीक के जरिए रेडिएशन थेरेपी की और इसके बाद एक हफ्ते तक इरेडिएट सेल्स पर रिसर्च किया.

सीएमआरआइ जीनोम इंटीग्रिटी यूनिट के प्रमुख टोनी सेसरे ने कहा, "हमारे रिसर्च का रिजल्ट आश्चर्यजनक है. रिजल्ट में सबसे खास बात डीएनए की मरम्मत है, जो आमतौर पर हेल्दी सेल्स की रक्षा करती है, यह बताती है कि रेडियोथेरेपी के बाद कैंसर कोशिकाएं कैसे मरती हैं."

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उन्होंने बताया, “डीएनए की मरम्मत करने वाली प्रक्रियाएं यह पहचान सकती हैं कि सेल्स कब बहुत ज्यादा डैमेज हुई है, जैसे कि रेडियोथेरेपी से और कैंसर सेल्स को यह निर्देश दे सकती है कि कैसे डेड होना है."

जब रेडिएशन से डीएनए डैमेज हो जाता है, तो उसे "होमोलॉग्स रीकॉम्बिनेशन" नामक एक विधि से रिपेयर किया जा सकता है. वैज्ञानिकों ने पाया कि इस प्रक्रिया के दौरान कैंसर सेल्स प्रजनन (सेल डिवीजन या माइटोसिस) के समय मर जाती हैं.

सेसारे ने कहा कि कोशिका विभाजन के दौरान डेड स्किन सेल्स को नोटिस नहीं किया जाता है और इम्यून सिस्टम इसे अनदेखा कर देता है इसलिए जरूरी इम्यून प्रतिक्रिया सक्रिय नहीं हो पाती है.

हालांकि, अन्य मरम्मत विधियों के जरिए से रेडिएशन-डैमेज डीएनए से निपटने वाली सेल्स डिविजन से बच गईं और उन्होंने कोशिका में डीएनए रिपेयर बाइप्रोडक्ट भी रिलीज किए.

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उन्होंने कहा, "कोशिका के लिए ये बाइप्रोडक्ट वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण की तरह दिखते हैं और फिर कैंसर सेल्स के इस तरह से डेड होने से इम्यून सिस्टम सतर्क हो जाता है, जो हम नहीं चाहते हैं."

टीम ने बताया कि होमोलॉग्स रीकॉम्बिनेशन को बंद करने से कैंसर सेल्स के डेड होने या खत्म होने का तरीका बदल गया, जिससे इम्यूनिटी मजबूत बन गई.

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस खोज से उन दवाओं का उपयोग संभव हो जाएगा जो होमोलॉग्स रिकॉम्बिनेशन को रोकती है, जिससे रेडियोथेरेपी से ट्रीटेड कैंसर सेल्स को इस तरह से मरने के लिए मजबूर किया जा सके कि इम्यून सिस्टम को कैंसर के अस्तित्व के बारे में सचेत किया जा सके जिसे नष्ट करने की जरूरत है.

सीएमआरआइ के बयान में आगे कहा गया कि नेचर सेल बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित ये कन्क्लूजन इलाज में सुधार और सफल इलाज की दर में वृद्धि के लिए नए अवसर खोल सकता है.

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