शिया और सुन्नी मुसलमान क्या होते हैं?

शिया और सुन्नी मुसलमान क्या होते हैं?

नवंबर 7, 2024 - 00:04
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शिया और सुन्नी इस्लाम के दो सबसे बड़े सम्प्रदाय हैं, और दोनों के बीच विभाजन इस्लाम के शुरुआती इतिहास में राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों के कारण हुआ। यह विभाजन पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी को लेकर हुए विवाद पर आधारित है। इस्लाम के इतिहास, राजनीतिक संदर्भ, धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक ढांचे में अंतर के कारण इन दोनों सम्प्रदायों में विविधताएँ देखने को मिलती हैं।

1. सुन्नी मुसलमान (Sunni Muslims)

सुन्नी इस्लाम के अनुयायी इस्लाम के सबसे बड़े सम्प्रदाय का हिस्सा हैं, और यह मुस्लिम दुनिया के लगभग 85-90% मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है। "सुन्नी" शब्द "सुन्ना" से लिया गया है, जिसका अर्थ पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं और जीवन की परंपराओं से है।

सुन्नियों की मान्यताएँ:

खलीफा का चुनाव: सुन्नी मानते हैं कि पैगंबर मुहम्मद ने अपने उत्तराधिकारी के बारे में कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया था। इसलिए, मुसलमानों को सामूहिक रूप से अपने नेता का चुनाव करने का अधिकार है। पहले चार खलीफाओं (अबू बक्र, उमर, उस्मान, अली) को सही मार्ग पर चलने वाले खलीफा माना जाता है।

धार्मिक प्रथाएं: सुन्नी मुसलमान कुरान और हदीस (पैगंबर मुहम्मद के कथन और कर्म) का अनुसरण करते हैं। सुन्नी इस्लाम में चार मुख्य धार्मिक स्कूल या फिक्ह (कानूनी) परंपराएं हैं: हनफ़ी, मलीकी, शाफ़ी, और हंबली। ये विभिन्न प्रकार से इस्लामिक कानून की व्याख्या करते हैं, लेकिन सभी कुरान और सुन्ना पर आधारित हैं।

धार्मिक नेतृत्व: सुन्नी मुसलमानों में धार्मिक नेतृत्व सामूहिक है और धार्मिक विद्वानों (उलेमा) पर आधारित होता है। कोई भी एक प्रमुख नेता या इमाम नहीं होता जो पूरे सम्प्रदाय का प्रतिनिधित्व करता हो।

धार्मिक त्योहार: सुन्नी मुस्लिमों द्वारा मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा शामिल हैं।

2. शिया मुसलमान (Shia Muslims)

शिया इस्लाम का अनुसरण करने वाले मुस्लिम पैगंबर मुहम्मद के चचेरे भाई और दामाद अली इब्न अबी तालिब और उनके वंशजों को पैगंबर का सही उत्तराधिकारी मानते हैं। "शिया" शब्द "शियात अली" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "अली का अनुयायी।" शिया सम्प्रदाय इस्लाम के लगभग 10-15% का प्रतिनिधित्व करता है।

शियाओं की मान्यताएँ:

इमामत (Imamat): शिया मुसलमानों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद ने अली को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया था। उनके अनुसार, खलीफा चुनने के बजाय नेतृत्व अली और उनके वंशजों को दिया जाना चाहिए था, जिन्हें "इमाम" कहा जाता है। इमाम न केवल राजनीतिक नेता हैं, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी हैं। शिया मानते हैं कि इमाम निर्दोष होते हैं और उन्हें सीधे तौर पर ईश्वर से ज्ञान मिलता है।

इमामों का महत्व: शिया इस्लाम में बारह प्रमुख इमाम हैं, जिन्हें पैगंबर के वंश से माना जाता है। बारहवें इमाम, महदी, के बारे में विश्वास है कि वे अभी भी जीवित हैं लेकिन छिपे हुए हैं (गायब हैं), और वे अंतिम दिनों में प्रकट होंगे।

आशुरा का महत्व: शिया मुसलमानों के लिए सबसे प्रमुख धार्मिक घटना आशुरा है, जो कर्बला की लड़ाई में इमाम हुसैन (पैगंबर मुहम्मद के पोते) की शहादत की याद में मनाई जाती है। यह शियाओं के धार्मिक इतिहास का एक केंद्रीय हिस्सा है।

धार्मिक नेतृत्व: शिया सम्प्रदाय में "मोजतहिद" या "आयतुल्लाह" जैसे धार्मिक विद्वान धार्मिक और राजनीतिक नेतृत्व करते हैं। इनमें से कुछ को "मरजा-ए-तकलिद" के रूप में जाना जाता है, जिनका अनुसरण शिया मुसलमान करते हैं।

उपसम्प्रदाय: शिया सम्प्रदाय के भीतर भी कई उपसम्प्रदाय हैं, जैसे कि इथनाअशरी (बारह इमामों में विश्वास रखने वाले), इस्माइली, और ज़ैदी।

प्रमुख अंतर:

1. खलीफा बनाम इमाम: सुन्नी मुसलमान खलीफा का चुनाव सामूहिक रूप से करते हैं, जबकि शिया मुसलमान मानते हैं कि केवल अली और उनके वंशज ही पैगंबर मुहम्मद के सही उत्तराधिकारी हो सकते हैं।

2. धार्मिक प्रथाएं: दोनों सम्प्रदाय कुरान और हदीस पर विश्वास करते हैं, लेकिन हदीस की कुछ किताबों और इमामों के अधिकार को लेकर उनके दृष्टिकोण में अंतर है। सुन्नियों के लिए हदीस का स्रोत व्यापक है, जबकि शियाओं के लिए हदीस की किताबें और इमामों की शिक्षाएं विशेष महत्व रखती हैं।

3. धार्मिक त्योहार और प्रथाएं: सुन्नी और शिया दोनों ईद के त्योहार मनाते हैं, लेकिन शिया मुसलमानों के लिए आशुरा का दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में वे मातम मनाते हैं।

4. धार्मिक नेतृत्व: सुन्नी मुसलमानों में धार्मिक नेतृत्व विकेन्द्रित है और उलेमा पर आधारित है, जबकि शिया मुसलमानों में इमामत की परंपरा है, जिसमें इमाम धर्म और राजनीति दोनों में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं।

भौगोलिक वितरण:

सुन्नी मुसलमान: सुन्नी मुसलमान दुनिया के अधिकांश मुस्लिम-बहुल देशों में पाए जाते हैं, जैसे कि सऊदी अरब, मिस्र, तुर्की, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, और बांग्लादेश।

शिया मुसलमान: शिया मुसलमान मुख्य रूप से ईरान, इराक, लेबनान, बहरीन, और अज़रबैजान में हैं। ईरान एक प्रमुख शिया राष्ट्र है, जहां शिया इस्लाम आधिकारिक धर्म है।

निष्कर्ष:

हालांकि शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं में अंतर हैं, वे दोनों इस्लाम के मूल सिद्धांतों जैसे कि अल्लाह में विश्वास, कुरान, पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाएं, और पांच स्तंभों का पालन करते हैं।

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