प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं की शारीरिक और मानसिक सेहत में कई बदलाव होते हैं। इन बदलावों के कारण उन्हें कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। मां की सेहत का असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है। ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट’ के मुताबिक, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, इन्फेक्शन और डिप्रेशन का जोखिम कई गुना ज्यादा होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान मां और बच्चे को इन्फेक्शन से बचाने के लिए और हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ वैक्सीन दी जाती हैं। कुछ वैक्सीन प्रेग्नेंसी से पहले और बाद में भी दी जाती हैं। ये वैक्सीन सुरक्षित और हेल्दी प्रेग्नेंसी, लेबर और फिर पोस्टपार्टम रिकवरी में मदद करती हैं। इसलिए ‘सेहतनामा’ में इन वैक्सीन की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- प्रेग्नेंसी में वैक्सीनेशन क्यों जरूरी प्रेग्नेंसी के दौरान महिला के शरीर में हर दिन नए बदलाव होते हैं। ज्यादातर शारीरिक बदलाव देखे जा सकते हैं। ये बदलाव प्राकृतिक रूप से महिला को बच्चे के जन्म के लिए तैयार कर रहे होते हैं। हालांकि, इम्यून सिस्टम और ब्रेन फंक्शनिंग से जुड़े बदलाव दिखते नहीं है। इसके बावजूद बीमारियों का कारण बन सकते हैं। कौन सी वैक्सीन कब लगवानी चाहिए? सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, प्रेग्नेंट महिलाएं अपने बच्चों से हर चीज शेयर करती हैं। मसलन मां के शरीर में ही बच्चे का शरीर पनपता है। इसका मतलब है कि अगर मां बीमार पड़ेगी तो इसका असर बच्चे की सेहत पर भी होगा। अगर मां का वैक्सीनेशन होगा तो यह न केवल महिला की रक्षा करेगा, बल्कि उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रारंभिक सुरक्षा मिलेगी। गर्भ में बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए मां का पहले से स्वस्थ होना जरूरी है। इसलिए प्रेग्नेंसी से पहले महिला की इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए वैक्सीन दी जाती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसी वैक्सीन दी जाती है, जिनसे मां और बच्चे दोनों को सुरक्षा मिल सके। जबकि प्रेग्नेंसी के बाद मां को ज्यादातर ऐसी वैक्सीन दी जाती है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान नहीं दी जा सकी है। प्रेग्नेंसी से पहले कंसीव करने से पहले महिलाओं को और उनकी फैमिली को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्होंने प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली समस्याओं से बचने के लिए जरूरी वैक्सीन लगवा रखी हैं। ये वैक्सीन तब सबसे ज्यादा प्रभावी होती हैं, जब इन्हें प्रेग्नेंसी से एक महीने पहले ही लगवाया गया हो। आइए सभी वैक्सीन के काम समझ लेते हैं। MMR वैक्सीन यह वैक्सीन मीजल्स, मंप्स और रुबेला से बचाती है। रूबेला एक वायरल संक्रमण है, जिसके कारण सीवियर बर्थ डिफेक्ट्स, जैसे हार्ट संबंधी समस्याएं, हियरिंग लॉस और विकास संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जिन महिलाओं ने रूबेला वैक्सीन नहीं ली है, उन्हें गर्भधारण करने से कम-से-कम एक महीने पहले MMR (मीजल्स, मंप्स, रूबेला) वैक्सीन लगवानी चाहिए। ब्लड टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि कोई रूबेला से प्रतिरक्षित है या उसे वैक्सीन की जरूरत है। गर्भावस्था से पहले टीका लगवाने से शिशु के लिए सर्वोत्तम सुरक्षा सुनिश्चित होती है। वैरीसेला वैक्सीन प्रेग्नेंसी के दौरान चिकनपॉक्स खतरनाक हो सकता है, जिससे बच्चे में जन्म दोष या जन्म के समय वजन कम हो सकता है। जिन महिलाओं को कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ है या इसकी वैक्सीन नहीं लगाई गई है, उन्हें गर्भावस्था से पहले वैरिसेला वैक्सीन लगवानी चाहिए। यह टीका गर्भधारण से कम-से-कम एक महीने पहले दिए जाने पर सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। Tdap वैक्सीन जिन महिलाओं को पिछले 10 वर्षों के भीतर TDap वैक्सीन नहीं लगाई गई है, उन्हें गर्भावस्था से पहले यह वैक्सीन लगवानी चाहिए। Tdap वैक्सीन काली खांसी (पर्टुसिस) से बचाती है, जो नवजात शिशुओं के लिए लाइफ थ्रेटनिंग हो सकता है। मां-बच्चे की सुरक्षा के लिए प्रेग्नेंसी से पहले वैक्सीन लगवानी चाहिए। हेपेटाइटिस B ‘ऑफिस ऑन रिसर्च ऑफ वुमन हेल्थ’ के मुताबिक, हेपेटाइटिस B से पीड़ित मां से पैदा हुए बच्चे को जन्म के समय वायरस से संक्रमित होने का सबसे अधिक जोखिम होता है। इसलिए हेपेटाइटिस B के टेस्ट और वैक्सीन के बारे में डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें। प्रेग्नेंसी के दौरान प्रेग्नेंसी के दौरान मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए कुछ वैक्सीन जरूरी होती हैं। ये वैक्सीन आमतौर पर प्रेग्नेंसी की दूसरी या तीसरी तिमाही के दौरान दी जाती हैं। ऐसा इसलिए ताकि मां अपने बच्चे को प्लेसेंटा के जरिए ज्यादा एंटीबॉडी पास कर पाए। प्लेसेंटा मां और गर्भ में पल रहे बच्चे के बीच ऐसी ट्यूब है, जिससे बच्चे के विकास के लिए गर्भ को ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन मिलता है। Tdap वैक्सीन डॉ. प्रिया गुप्ता के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान 27 से 36 हफ्ते के बीच Tdap वैक्सीन दी जा सकती है। यह बच्चों को काली खांसी यानी पर्टुसिस से बचाती है। यह नवजात शिशुओं के लिए घातक हो सकती है। Tdap वैक्सीन से मिली एंटीबॉडीज प्लेसेंटा से होकर बच्चे तक पहुंचती हैं। इससे बच्चे को जीवन के शुरुआती महीनों के लिए सुरक्षा मिलती है। बच्चों के लिए शुरुआती दिन बेहद नाजुक होते हैं। इसलिए अगर अगर मां पहले ही Tdap वैक्सीन लगवा चुकी है तो गर्भावस्था के दौरान भी एक शॉट लेना चाहिए। फ्लू वैक्सीन प्रेग्नेंसी के दौरान फ्लू होने से निमोनिया और समय से पहले डिलीवरी जैसे कॉम्प्लिकेशन का जोखिम अधिक होता है। इसलिए फ्लू के मौसम में (अक्टूबर से अप्रैल) इसकी वैक्सीन लगवाने से मां और बच्चे, दोनों की सुरक्षा पक्की हो सकती है। फ्लू की वैक्सीन प्रेग्नेंसी के दौरान सुरक्षित होती है और प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक पहुंच जाती है। ये जन्म के बाद भी बच्चे को फ्लू से सेफ रखती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, फ्लू के मौसम में सभी गर्भवती महिलाओं को इसकी वैक्सीन लगवानी चाहिए। डिलीवरी के बाद आमतौर पर डिलीवरी के बाद ज्यादातर लोगों का फोकस बच्चे की सेहत पर होता है। डॉक्टर्स और फैमिली बच्चे के वैक्सीनेशन में व्यस्त होते हैं। जबकि मां और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए मां को भी कुछ वैक्सीन की जरूरत होती है। इस दौरान मां को वो सभी वैक्सीन दी जाती हैं, जो प्रेग्नेंसी के दौरान या उससे पहले छूट गई हैं। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं को ये वैक्सीन दी जाती हैं। …………………….
सेहत की ये खबर भी पढ़िए
सेहतनामा- मीनोपॉज क्या है:क्या पीरियड्स बंद होने पर बढ़ता बीमारियों का जोखिम, डॉक्टर से जानें हर सवाल का जवाब मीनोपॉज से पहले, इसके दौरान और इसके कई साल बाद तक रात में अचानक पसीना, बेचैनी और सिर दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं। यह सब होना सामान्य है, लेकिन मीनोपॉज के कारण पैदा हुए हॉर्मोनल असंतुलन से हार्ट डिजीज, ऑस्टियोपोरोसिस और यूटीआई प्रॉब्लम्स का जोखिम बढ़ जाता है। पूरी खबर पढ़िए...
appuraja9
Appu Raja is a multifaceted professional, blending the roles of science educator, motivator, influencer, and guide with expertise as a software and application developer. With a solid foundation in science education, Appu Raja also has extensive knowledge in a wide range of programming languages and technologies, including PHP, Java, Kotlin, CSS, HTML5, C, C++, Python, COBOL, JavaScript, Swift, SQL, Pascal, and Ruby. Passionate about sharing knowledge and guiding others, Appu Raja is dedicated to inspiring and empowering learners in both science and technology.