सेहतनामा- 188 करोड़ लोगों को नहीं मिल रहा पर्याप्त आयोडीन:भारत में 20 करोड़ लोगों को IDD का खतरा, आयोडीन की कमी कैसे पूरी करें

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में लगभग 188 करोड़ लोगों को भोजन में पर्याप्त आयोडीन नहीं मिल पा रहा है। इनमें 24.1 करोड़ स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। इन सभी लोगों को आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर (IDD) का खतरा है। इसके कारण घेंघा और हाइपोथायरॉइडिज्म जैसी समस्याएं हो सकती हैं। भारत के सॉल्ट कमिश्नर ऑफिस के मुताबिक, देश के लगभग 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर का खतरा है। 7 करोड़ से ज्यादा लोग घेंघा से और आयोडीन की कमी से होने वाले अन्य डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। आयोडीन एक ट्रेस मिनरल है, यानी ऐसा मिनरल जो शरीर को बहुत कम मात्रा में चाहिए। इसके बावजूद यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। आयोडीन की कमी होने पर IDD का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसा होने पर शरीर मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ाहट जैसे इशारे करता है। इन्हें पहचानना जरूरी है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे आयोडीन की। साथ ही जानेंगे कि- क्या सर्दियों में बढ़ सकते हैं घेंघा के लक्षण सर्दियों का आयोडीन की कमी से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इस मौसम में आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के लक्षण बढ़ सकते हैं। असल में ठंड बढ़ने पर थायरॉइड ग्लैंड के फंक्शन पर असर पड़ता है, जिसके कारण घेंघा के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। कैसे पहचानें आयोडीन की कमी एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. साकेत कांत कहते हैं कि हमारा शरीर हर मुश्किल में मदद के लिए कुछ इशारे करता है। कई बार हम इन्हें पहचान नहीं पाते हैं या फिर ये इतने कॉमन लक्षण होते हैं कि इग्नोर कर देते हैं। ऐसे मामलों में समस्या बड़ा रूप ले लेती है। फिर इलाज में ज्यादा मुश्किल होती है। ये संकेत दिखें तो डॉक्टर से कंसल्ट करें आयोडीन की कमी से हो सकते हैं ये कॉम्प्लिकेशन अगर भोजन में लगातार आयोडीन की कमी है तो शरीर पर्याप्त थायरॉइड हॉर्मोन नहीं बना सकता है। इसके कारण कई कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। खासतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान गंभीर जोखिम पैदा हो सकते हैं। इससे क्या जोखिम हो सकते हैं, ग्राफिक में देखिए: आयोडीन डेफिशिएंसी से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल: आयोडीन की कमी का ट्रीटमेंट क्या है? जवाब: आमतौर पर डॉक्टर आयोडीन सप्लीमेंट्स के साथ आयोडीन की कमी का इलाज करते हैं। अगर लंबे समय से कमी है तो शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन्स की भी कमी हो सकती है। इसलिए डॉक्टर थायरॉइड हॉर्मोन सप्लीमेंट्स लेने की भी सलाह दे सकते हैं। अगर कोई बच्चा आयोडीन डेफिशिएंट पैदा हुआ है तो इस कंडीशन का इलाज थायरॉइड हॉर्मोन सप्लीमेंट्स से किया जा सकता है। अगर बच्चे की कंडीशन ज्यादा गंभीर है तो उसे जीवन भर थायरॉइड हॉर्मोन्स सप्लीमेंट्स लेने पड़ सकते हैं। सवाल: अगर कोई आयोडीन डेफिशिएंट है तो क्या हो सकता है? जवाब: अगर कोई आयोडीन डेफिशिएंट है तो भोजन या सप्लीमेंट्स के जरिए इसे पूरा किया जा सकता है। इससे धीरे-धीरे आयोडीन की कमी के कारण दिख रहे लक्षण भी कम हो जाएंगे। अगर आयोडीन डेफिशिएंसी का पता देर से चलता है तो इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है तो आयोडीन की कमी के कारण बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। ऐसे कुछ मामलों में देखा गया है कि बच्चे मृत पैदा होते हैं। इसके गंभीर प्रभाव से बचने के लिए भोजन या सप्लीमेंट्स के जरिए पर्याप्त आयोडीन का सेवन जरूरी है। सवाल: रोज आयोडीन का कितना सेवन जरूरी है? जवाब: हर किसी को उम्र के हिसाब से प्रतिदिन अलग मात्रा में आयोडीन की जरूरत होती है। एडल्ट्स को रोजाना 150 माइक्रोग्राम आयोडीन मिलना चाहिए। अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है या स्तनपान कराती है तो उसे रोज लगभग 250 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। इसके लिए प्रीनेटल विटामिन सप्लीमेंट्स ले सकते हैं। इसमें रोज 250 माइक्रोग्राम जरूरी आयोडीन मिल जाता है। हालांकि, सभी प्रीनेटल विटामिन्स में आयोडीन नहीं होता है। इसलिए बोतल पर न्यूट्रिएंट्स चार्ट जरूर पढ़ें। सवाल: हम आयोडीन डेफिशिएंसी से कैसे बच सकते हैं? सवल: इसका सबसे अच्छा तरीका ये है कि हम ऐसा खाना खाएं, जिसमें हमें रोज अपनी जरूरत भर का आयोडीन मिल जाए। इन चीजों में आयोडीन होता है: आयोडीन डेफिशिएंसी से बचने के लिए आयोडीन युक्त नमक भी एक अच्छा और प्रभावी तरीका है। इसलिए खाना बनाने और खाने में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपने खाने के लिए प्रोसेस्ड फूड पर निर्भर है तो उसे आयोडीन के लिए सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि ज्यादातर प्रोसेस्ड फूड्स में आयोडीन युक्त नमक नहीं इस्तेमाल किया जाता है। .......................... सेहतनामा की ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- क्या चीन में फैला HMPV वायरस बनेगा महामारी: भारत में मिला तीसरा केस, डॉक्टर से जानें हर जरूरी सवाल का जवाब कोरोना महामारी के 5 साल बाद चीन में फिर से एक रेस्पिरेटरी डिजीज सामने आई है। इस नए वायरस का नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) है। सोशल मीडिया पर खबरें वायरल हो रही हैं कि चीन में HMPV इस कदर कहर बरपा रहा है कि पेशेंट्स के लिए बेड कम पड़ रहे हैं। पूरी खबर पढ़िए...

जनवरी 11, 2025 - 21:42
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सेहतनामा- 188 करोड़ लोगों को नहीं मिल रहा पर्याप्त आयोडीन:भारत में 20 करोड़ लोगों को IDD का खतरा, आयोडीन की कमी कैसे पूरी करें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया में लगभग 188 करोड़ लोगों को भोजन में पर्याप्त आयोडीन नहीं मिल पा रहा है। इनमें 24.1 करोड़ स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। इन सभी लोगों को आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर (IDD) का खतरा है। इसके कारण घेंघा और हाइपोथायरॉइडिज्म जैसी समस्याएं हो सकती हैं। भारत के सॉल्ट कमिश्नर ऑफिस के मुताबिक, देश के लगभग 20 करोड़ से ज्यादा लोगों को आयोडीन डेफिशिएंसी डिसऑर्डर का खतरा है। 7 करोड़ से ज्यादा लोग घेंघा से और आयोडीन की कमी से होने वाले अन्य डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। आयोडीन एक ट्रेस मिनरल है, यानी ऐसा मिनरल जो शरीर को बहुत कम मात्रा में चाहिए। इसके बावजूद यह हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है। आयोडीन की कमी होने पर IDD का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसा होने पर शरीर मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ाहट जैसे इशारे करता है। इन्हें पहचानना जरूरी है। इसलिए आज ‘सेहतनामा’ में बात करेंगे आयोडीन की। साथ ही जानेंगे कि- क्या सर्दियों में बढ़ सकते हैं घेंघा के लक्षण सर्दियों का आयोडीन की कमी से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इस मौसम में आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के लक्षण बढ़ सकते हैं। असल में ठंड बढ़ने पर थायरॉइड ग्लैंड के फंक्शन पर असर पड़ता है, जिसके कारण घेंघा के लक्षण गंभीर हो सकते हैं। कैसे पहचानें आयोडीन की कमी एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. साकेत कांत कहते हैं कि हमारा शरीर हर मुश्किल में मदद के लिए कुछ इशारे करता है। कई बार हम इन्हें पहचान नहीं पाते हैं या फिर ये इतने कॉमन लक्षण होते हैं कि इग्नोर कर देते हैं। ऐसे मामलों में समस्या बड़ा रूप ले लेती है। फिर इलाज में ज्यादा मुश्किल होती है। ये संकेत दिखें तो डॉक्टर से कंसल्ट करें आयोडीन की कमी से हो सकते हैं ये कॉम्प्लिकेशन अगर भोजन में लगातार आयोडीन की कमी है तो शरीर पर्याप्त थायरॉइड हॉर्मोन नहीं बना सकता है। इसके कारण कई कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं। खासतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान गंभीर जोखिम पैदा हो सकते हैं। इससे क्या जोखिम हो सकते हैं, ग्राफिक में देखिए: आयोडीन डेफिशिएंसी से जुड़े कुछ कॉमन सवाल और जवाब सवाल: आयोडीन की कमी का ट्रीटमेंट क्या है? जवाब: आमतौर पर डॉक्टर आयोडीन सप्लीमेंट्स के साथ आयोडीन की कमी का इलाज करते हैं। अगर लंबे समय से कमी है तो शरीर में थायरॉइड हॉर्मोन्स की भी कमी हो सकती है। इसलिए डॉक्टर थायरॉइड हॉर्मोन सप्लीमेंट्स लेने की भी सलाह दे सकते हैं। अगर कोई बच्चा आयोडीन डेफिशिएंट पैदा हुआ है तो इस कंडीशन का इलाज थायरॉइड हॉर्मोन सप्लीमेंट्स से किया जा सकता है। अगर बच्चे की कंडीशन ज्यादा गंभीर है तो उसे जीवन भर थायरॉइड हॉर्मोन्स सप्लीमेंट्स लेने पड़ सकते हैं। सवाल: अगर कोई आयोडीन डेफिशिएंट है तो क्या हो सकता है? जवाब: अगर कोई आयोडीन डेफिशिएंट है तो भोजन या सप्लीमेंट्स के जरिए इसे पूरा किया जा सकता है। इससे धीरे-धीरे आयोडीन की कमी के कारण दिख रहे लक्षण भी कम हो जाएंगे। अगर आयोडीन डेफिशिएंसी का पता देर से चलता है तो इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है तो आयोडीन की कमी के कारण बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है। ऐसे कुछ मामलों में देखा गया है कि बच्चे मृत पैदा होते हैं। इसके गंभीर प्रभाव से बचने के लिए भोजन या सप्लीमेंट्स के जरिए पर्याप्त आयोडीन का सेवन जरूरी है। सवाल: रोज आयोडीन का कितना सेवन जरूरी है? जवाब: हर किसी को उम्र के हिसाब से प्रतिदिन अलग मात्रा में आयोडीन की जरूरत होती है। एडल्ट्स को रोजाना 150 माइक्रोग्राम आयोडीन मिलना चाहिए। अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है या स्तनपान कराती है तो उसे रोज लगभग 250 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। इसके लिए प्रीनेटल विटामिन सप्लीमेंट्स ले सकते हैं। इसमें रोज 250 माइक्रोग्राम जरूरी आयोडीन मिल जाता है। हालांकि, सभी प्रीनेटल विटामिन्स में आयोडीन नहीं होता है। इसलिए बोतल पर न्यूट्रिएंट्स चार्ट जरूर पढ़ें। सवाल: हम आयोडीन डेफिशिएंसी से कैसे बच सकते हैं? सवल: इसका सबसे अच्छा तरीका ये है कि हम ऐसा खाना खाएं, जिसमें हमें रोज अपनी जरूरत भर का आयोडीन मिल जाए। इन चीजों में आयोडीन होता है: आयोडीन डेफिशिएंसी से बचने के लिए आयोडीन युक्त नमक भी एक अच्छा और प्रभावी तरीका है। इसलिए खाना बनाने और खाने में आयोडीन युक्त नमक का उपयोग करना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपने खाने के लिए प्रोसेस्ड फूड पर निर्भर है तो उसे आयोडीन के लिए सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि ज्यादातर प्रोसेस्ड फूड्स में आयोडीन युक्त नमक नहीं इस्तेमाल किया जाता है। .......................... सेहतनामा की ये खबर भी पढ़िए सेहतनामा- क्या चीन में फैला HMPV वायरस बनेगा महामारी: भारत में मिला तीसरा केस, डॉक्टर से जानें हर जरूरी सवाल का जवाब कोरोना महामारी के 5 साल बाद चीन में फिर से एक रेस्पिरेटरी डिजीज सामने आई है। इस नए वायरस का नाम ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) है। सोशल मीडिया पर खबरें वायरल हो रही हैं कि चीन में HMPV इस कदर कहर बरपा रहा है कि पेशेंट्स के लिए बेड कम पड़ रहे हैं। पूरी खबर पढ़िए...
appuraja9 Appu Raja is a multifaceted professional, blending the roles of science educator, motivator, influencer, and guide with expertise as a software and application developer. With a solid foundation in science education, Appu Raja also has extensive knowledge in a wide range of programming languages and technologies, including PHP, Java, Kotlin, CSS, HTML5, C, C++, Python, COBOL, JavaScript, Swift, SQL, Pascal, and Ruby. Passionate about sharing knowledge and guiding others, Appu Raja is dedicated to inspiring and empowering learners in both science and technology.