इलाहाबाद हाई कोर्ट के नाड़ा...रेप वाले फैसले पर योगी सरकार गरम, जज के खिलाफ जा सकती है सुप्रीम कोर्ट
Yogi Government On Allahabad High Court's Decision: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यौन अपराध के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि एक लड़की का निजी अंग पकड़ना और उसकी पायजामी का नाड़ा तोड़ना, आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) का मामला नहीं है.

Yogi Government On Allahabad High Court's Decision: उत्तर प्रदेश में नाबालिग के साथ रेप के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के ऑब्जरवेशन पर विवाद खड़ा हो गया है. शुक्रवार को संसद में सभी दलों की महिला सांसदों ने जज के ऑब्जरवेशन की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है. दरअसल, उत्तर प्रदेश में नाबालिग पर हमले से जुड़े एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि किसी का स्तन पकड़ना या पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता है.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र के इस ऑब्जरवेशन का संसद में सभी राजनीतिक दलों के महिला सांसदों ने जमकर विरोध किया है. उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे बीजेपी सांसद बृजलाल ने NDTV से कहा कि योगी सरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकती है.
बृजलाल ने कहा, "जहां तक मैं समझता हूं योगी सरकार इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाएगी और इलाहाबाद हाई कोर्ट की जज का यह बयान कैंसिल होगा...यह बहुत ही गंभीर मामला है...इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने बहुत ही हल्का बयान दिया है. यह सबसे बड़ा अपराध है जो किसी के आत्मसम्मान के साथ हो सकता है."
क्या था मामला
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यौन अपराध के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि एक लड़की का निजी अंग पकड़ना और उसकी पायजामी का नाड़ा तोड़ना, आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) का मामला नहीं है, बल्कि ऐसा अपराध धारा 354 (बी) (किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. यह आदेश दो व्यक्तियों द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने पारित किया. इन आरोपियों ने कासगंज के विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए यह पुनरीक्षण याचिका दायर की थी.
एक वकील भी पहुंची सुप्रीम कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट के 17 मार्च को दिए विवादित फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. वकील अंजले पटेल की ओर से दायर इस याचिका में फैसले के उस विवादित हिस्से को हटाने की मांग की गई है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि पीड़ित के ब्रेस्ट को पकड़ना,और पजामे के नाड़े को तोड़ने के बावजूद आरोपी के खिलाफ रेप की कोशिश का मामला नहीं बनता.