फर्ज करिए कि आप कहीं बाजार में या पब्लिक प्लेस में हैं और कोई शख्स बेहोश होकर जमीन पर गिर गया है। आपने इंटरनेट पर अक्सर ऐसे वीडियो देखे हैं कि जब कोई व्यक्ति जमीन पर बेहोश होकर गिर जाता है तो दूसरा सीपीआर (CPR) देकर उसकी जान बचा लेता है। आपने भी बिना देरी किए बेहोश व्यक्ति को सीपीआर देना शुरू कर दिया। जब उस शख्स को होश आया तो वह कराह रहा था। उसे हॉस्पिटल ले जाने पर पता चला कि उसके रिब्स केज में फ्रैक्चर हो गया है। डॉक्टर ने बताया कि बेहोश शख्स को सीपीआर की कोई जरूरत नहीं थी। वह सिर्फ सामान्य बेहोशी थी। गलत तरीके से सीपीआर देने से उनके रिब्स केज में फ्रैक्चर भी हो गया है। दो महीने पहले इससे मिलता-जुलता एक वीडियो केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी शेयर किया था। जिसमें एक टीटीई (TTE) चलती ट्रेन में 70 वर्षीय बुजुर्ग को सीपीआर दे रहे थे। आमतौर पर ऐसे वीडियो को तारीफ मिलती है, लेकिन इस वीडियो को लेकर अश्विनी वैष्णव को खूब खरी-खोटी सुनने को मिली। कई डॉक्टर्स ने तो उनसे यह वीडियो डिलीट करने की अपील की। इस वीडियो पर इतने सवाल इसलिए उठे क्योंकि जिन बुजुर्ग व्यक्ति को सीपीआर दिया जा रहा था, वह होश में थे और ठीक से सांस भी ले रहे थे। उन्हें इसकी जरूरत ही नहीं थी। इसलिए ‘सेहतनामा’ में आज जानेंगे कि सीपीआर देने का सही तरीका क्या है। साथ ही जानेंगे कि- हर साल कार्डियक अरेस्ट से 40-50 लाख लोगों की मौत ‘द लैसेंट’ में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, भारत में हर साल अचानक कार्डियक अरेस्ट के कारण लगभग 5-6 लाख लोगों की मौत हो जाती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल अचानक कार्डियक अरेस्ट से 40 से 50 लाख लोगों की मौत होती है। कार्डियक अरेस्ट होने पर तुरंत सीपीआर देकर लगभग 45% लोगों की जान बचाई जा सकती है। हालांकि गलत तरीके से या गलत समय पर दिया गया सीपीआर जोखिम भी पैदा कर सकता है। सीपीआर क्या है? सीपीआर का पूरा नाम कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन है। यह एक प्रोसीजर है, जिसमें पेशेंट के सीने को कंप्रेस करके और मुंह-से-मुंह में सांस देकर उसकी जान बचाई जा सकती है। किसी व्यक्ति की दिल की धड़कन या सांस रुकने पर सीपीआर दिया जाता है। कब देना होता है सीपीआर? अगर आपके आसपास कोई अचानक गिर गया है, उसकी सांस और धड़कन रुक गई है तो उसे सीपीआर की सख्त जरूरत है। ऐसी बहुत सी कंडीशंस हो सकती हैं, जब किसी को सीपीआर देकर उसकी जान बचाई जा सकती है, ग्राफिक में देखिए: हम कैसे जानेंगे कि किसी को सीपीआर की जरूरत है? हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि किसी व्यक्ति को सीपीआर की जरूरत है या नहीं। इसके बाद ही यह प्रोसीजर फॉलो करना चाहिए। जिस तरह से ट्रेन में सीपीआर देने का वीडियो वायरल हो रहा है, इस तरह बिना जरूरत सीपीआर देने से सामने वाले व्यक्ति की जान को जोखिम हो सकता है। ऐसी स्थिति अवॉइड करने के लिए सीपीआर देने से पहले ये 8 स्टेप्स फॉलो करें : सीपीआर देने का सही तरीका क्या है? आपने अक्सर पढ़ा या सुना होगा कि कोई भी व्यक्ति सीपीआर दे सकता है। हालांकि, अगर व्यक्ति को इस बारे में बेसिक जानकारी होगी तो वह इस प्रोसीजर को बेहतर कर पाएगा। सीपीआर की ये गाइडलाइंस नवजात शिशुओं के अलावा हर उम्र के व्यक्ति पर लागू होती हैं। किसी व्यक्ति की मदद करने के लिए सीपीआर की इन गाइडलाइंस को फॉलो करें: रेस्क्यू ब्रीद देते समय फॉलो करें ये टिप्स: सीपीआर कब नहीं देना होता है? यह जानना जितना जरूरी है कि किसी व्यक्ति को जरूरत पड़ने पर कब सीपीआर देना है, उतना ही जरूरी ये जानना भी है कि किसी को कब सीपीआर नहीं देना है। इन स्थितियों में सीपीआर बिलकुल न दें– ..........................
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सेहतनामा- अचानक किसी को कार्डियक अरेस्ट हो तो CPR दें:बच सकती है जान, CPR क्या है, डॉक्टर से जानें हर सवाल का जवाब प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल ‘दे लैसेंट’ के मुताबिक भारत में हर साल लगभग 5-6 लाख लोग अचानक हुए कार्डियक अरेस्ट (SCD) के कारण दम तोड़ देते हैं और उनमें से बड़ी संख्या 50 वर्ष या उससे कम आयु के लोगों की होती है। पूरी खबर पढ़िए...
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