महाकुंभ में नियुक्त 1,500 सेवा दूत श्रद्धालुओं की कर रहे मदद, दिव्यांगों को करा रहे स्नान

कानपुर से आए दिव्यांग रितेश दीक्षित ने सेवा दूतों की तारीफ की. उन्होंने बताया, "गंगा दूत आश्रम में रुका हुआ हूं, जहां पर लोग आश्वासन दे रहे हैं कि वे हमें घाट तक पहुंचाएंगे. सरकार की यह पहल बहुत ही अच्छी है, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं."

जनवरी 26, 2025 - 18:11
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महाकुंभ में नियुक्त 1,500 सेवा दूत श्रद्धालुओं की कर रहे मदद, दिव्यांगों को करा रहे स्नान

संगम नगरी प्रयागराज में देश का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन हो रहा है. देश दुनिया से आस्थावान पधार रहे हैं. किसी को कोई असुविधा न हो इसे ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए गए हैं. महाकुंभ मेले में सरकार की तरफ से 1500 गंगा सेवा दूतों की नियुक्ति भी की गई है, जो यहां पर आए श्रद्धालुओं की मदद कर रहे हैं. ये दिव्यागों की संगम स्नान में मदद कर रहे हैं. सरकार द्वारा नियुक्त गंगा सेवा दूत लोगों को गंदगी न फैलाने और प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. साथ ही, दिव्यांगों को दर्शन कराने और उन्हें जन आश्रय स्थल तक पहुंचाने में भी मदद कर रहे हैं.

कुल 1,500 गंगा सेवा दूतों की नियुक्ति की गई

एक गंगा सेवा दूत ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, "महाकुंभ मेले में पंचायती राज विभाग की तरफ से कुल 1,500 गंगा सेवा दूतों की नियुक्ति की गई है. हमारा काम यह है कि महाकुंभ में जो कल्पवासी हैं, उनसे मुलाकात करके उन्हें सुगम स्थानों तक पहुंचा रहे हैं. हम लोगों से निवेदन कर रहे हैं कि वे प्लास्टिक का उपयोग न करें और प्रयागराज को स्वच्छ बनाने में हमारी मदद करें."

दिव्यांगों को करा रहे स्नान

एक गंगा सेवा दूत ने बताया कि "महाकुंभ में हम दिव्यांगों की भी मदद कर रहे हैं. जो लोग बीमार हैं, या फिर किसी आपातकालीन स्थिति में नजर आ रहे हैं, उन्हें अस्पताल पहुंचा रहे हैं. मेले में सेक्टर के हिसाब से अस्थाई अस्पताल बनाए गए हैं, जहां लोगों को पहुंचा रहे हैं."

एक अन्य गंगा सेवा दूत अजय कुमार यादव ने बताया, "जो भी श्रद्धालु मेले में भटक गए होते हैं या फिर दिव्यांग होते हैं, उन्हें हम चिकित्सालय भेजने के लिए गाड़ी उपलब्ध कराते हैं. दिव्यांगों के लिए अलग व्यवस्था होती है. परिसर और गंगा सफाई के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है. आने वाले श्रद्धालुओं को प्लास्टिक मुक्त और गंदगी न फैलाने के लिए प्रेरित किया जाता है. नदी में साबुन का इस्तेमाल न करने के लिए जागरूक किया जाता है."

कानपुर से आए दिव्यांग रितेश दीक्षित ने सेवा दूतों की तारीफ की. उन्होंने बताया, "गंगा दूत आश्रम में रुका हुआ हूं, जहां पर लोग आश्वासन दे रहे हैं कि वे हमें घाट तक पहुंचाएंगे. सरकार की यह पहल बहुत ही अच्छी है, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं."

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