Opinion: PM मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात का सबसे बड़ा संदेश यह है

इस मुलाकात से दुनिया में एक सबसे बड़ा मैसेज गया है, वह यह कि दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों में दोस्ती है. यह तानाशाही ताकतों के सामने बड़ी चुनौती है कि अभी इस धरती पर लोकतंत्र कमजोर नहीं हुआ है.

फ़रवरी 15, 2025 - 09:03
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Opinion: PM मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात का सबसे बड़ा संदेश यह है

पूरी दुनिया की नजरें पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर टिकी थीं.  विश्व की दो बड़ी ताकतें जब साथ बैठती हैं तो भविष्य की रणनीति तय होती है. रक्षा और व्यापार सौदों से इतर इस मीटिंग से कई संदेश निकले. वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह के शब्दों में मोदी-ट्रंप मुलाकात के मायने...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को, एक सांकेतिक यात्रा के तौर पर ज्यादा देखा जाना चाहिए. इसमें तो खोने-पाने से ज्यादा पूरी दुनिया के लिए संदेश छिपा है. यह संदेश है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे पुराने लोकतंत्र, दोनों में बहुत बड़े स्तर पर मतभेद नहीं हैं. अपने-अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए भी दोस्ती निभाई जाती है, यह इस मुलाकात का सार है. भारत और अमेरिका के रिश्ते पहले से बेहतर हैं. यह आगे और भी मजबूत होते दिखाई देंगे.

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अमेरिका जाने से पहले पीएम मोदी भी यह अच्छी तरह से जानते थे कि ट्रंप जिस राष्ट्रहित और MAGA के नारे के साथ अमेरिका की राष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे है, वह इससे अलग नहीं हो जाएंगे. ट्रंप भी इससे वाकिफ थे कि मोदी भी राष्ट्र प्रथम की बात करते हैं, ऐसे में वह भी ऐसा कुछ नहीं करेंगे, वह भी सिर्फ ट्रंप की दोस्ती के लिए. दोनों अपनी सीमाएं भी जानते हैं. इस मुलाकात से दुनिया में एक सबसे बड़ा मैसेज गया है, वह यह कि दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों में दोस्ती है. यह तानाशाही ताकतों के सामने बड़ी चुनौती है कि अभी इस धरती पर लोकतंत्र कमजोर नहीं हुआ है. 21वीं सदी में तानाशाही ताकतों को यह सिग्नल जाना ही चाहिए कि लोकतंत्र आज भी इस धरती का पहला और आखिरी विकल्प है. और यह और मजबूत होगा. यह मैसेज जो गया है, बहुत बड़ी चीज है. 

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दुनिया में इस वक्त छोटे-छोटे बिखराव पैदा हो रहे हैं. मल्टिपोलर और बाकी बातें हो रही हैं. ट्रंप आखिर चाहते क्या हैं? अगर आप ट्रंप के चुनाव अभियान को याद करेंगे तो वह यह कहते रहे कि हम युद्ध नहीं चाहते हैं. और अगर पीएम मोदी की बात करें, तो वह पुतिन से जाकर बोलकर आए थे कि यह दौर युद्ध का नहीं, बुद्ध का है. एक सबसे बड़ी बात यह है कि हिंसा, आतंक के खिलाफ लोकतांत्रिक ताकतें एकजुट हों. और यह संदेश जाए कि हमारे आपस के ट्रेड और बाकी चीजें सेकेंडरी बातें हैं, मूल चीज यह है मानवता के लिए विकल्प क्या है. 

जब 20वीं सदी खत्म हुई, तो टाइम मैगजीन ने उसका शताब्दी अंक निकाला. इसमें कवर स्टोरी थी कि 20वीं सदी की सबसे बड़ी देन क्या है. तो टाइम मैगजीन में था ग्रीड और डेमॉक्रसी. ग्रीड का मतलब यह था कि आंत्रप्रनोरशिप और लोकतंत्र. तो 21वीं सदी में उस लोकतंत्र को बचाए रखना है. कहीं तानाशाही ताकतें यह न सोच लें कि लोकतंत्र कमजोर हो रहा है. और लोकतंत्र के आपसी गुटबाजी और मतभेद का फायदा उठाकर हम फिर कुछ कर लें. 

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4 बड़े संदेश क्या हैं 

  1. दोनों इस बात के पक्षधर हैं कि युद्ध किसी चीज का समाधान नहीं है. 
  2. राष्ट्रहित सबके लिए सर्वोपरि है. लेकिन राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए भी सह-अस्तित्व. हम कहां-कहां समझौता कर सकते हैं. हम कहां-कहां मिलकर चल सकते हैं.
  3. कुछ चीजें चॉइस नहीं होती हैं, वह मजबूरी होती हैं. भारत और अमेरिका एक-दूसरे के लिए मजबूरी और चॉइस, दोनों हैं. 140 करोड़ की आबादी वाला देश इस भूमंडल पर कोई नहीं है. आबादी बस नंबर नहीं है, यह कंज्यूमर भी है. कोई भी बड़ा मुल्क तरक्की करता है और मसलन टेक्नॉलजी में बहुत आगे हो जाता है. वह लाखों मर्सेडीज बना सकते हैं, लेकिन खरीदेगा कौन? आप अपने यहां की जनता को दे चुके हैं, इसके बाद कहां जाएंगे? बारिश में पानी वहीं जाता है, जहां ढाल होती है. नदियों के कैचमेंट एरिया जब भर जाते हैं तो तब बाढ़ आती है. तब पानी बाहर जाता है. तो अमेरिका और यूरोप के कैचमैंट एरिया भर चुके हैं. तो विकास की संभावनाएं वहीं होंगी, जहां पिछड़ापन है. तो इसलिए इंडिया पूरी दुनिया के लिए एक मार्केट है. तो अमेरिका के लिए भी है. 
  4. चौथी बात लोकतंत्र, अगर लोकतंत्र का साथ नहीं देगा, तो तानाशाही का खतरा बढ़ेगा. जैसे पीएम मोदी और ट्रंप दोनों ने कहा है कि हम आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे. एक आतंकवादी तहव्वुर राणा जो अमेरिका में पनाह लिए हुए, उस पर ट्रंप ने कहा है कि हम वापस भेजेंगे. तो यह बहुत बड़ी बात है. मोदी और ट्रंप का एक साथ आना बहुत बड़ा संदेश है उन विघटनकारी ताकतों और डीप स्टेट के लिए. 

अमेरिका से पैसा तमाम देशों में जाता रहा है सरकारों को अस्थिर करने के लिए, जिसमें जॉर्ज सोरोस का नाम बहुत आता है. वह फंडिंग भी बंद हो रही है. कहीं न कहीं मोदी और ट्रंप का लक्ष्य एक है, लेकिन अपने-अपने हितों को वे आगे रख रहे हैं. ये हित कहीं पर टकरा भी सकते हैं और मेल भी खा सकते हैं. 

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यह एक तरह का एडजस्टमेंट भी है. चलिए बावजूद इसके मिलकर बैठते हैं. वो कहते हैं ना- रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ... हर चीज रोटी-दाल ही नहीं होती है. इंसान का जब पेट (नाभि) भरता है तो नाक की बात आती है. तो दो बड़ी ताकतों का एक साथ आना इस भूमंडल के हित में है.

appuraja9 Appu Raja is a multifaceted professional, blending the roles of science educator, motivator, influencer, and guide with expertise as a software and application developer. With a solid foundation in science education, Appu Raja also has extensive knowledge in a wide range of programming languages and technologies, including PHP, Java, Kotlin, CSS, HTML5, C, C++, Python, COBOL, JavaScript, Swift, SQL, Pascal, and Ruby. Passionate about sharing knowledge and guiding others, Appu Raja is dedicated to inspiring and empowering learners in both science and technology.