NDTV Explainer: जवाबी Tariff से भारत को कितना चिंतित होना चाहिए?

डोनल्ड ट्रंप पर अपने घरेलू उद्योग और रोज़गार को बचाने का बड़ा दबाव है. लिहाज़ा अपने निर्यात पर लगने वाले टैरिफ़ के जवाब में वो Reciprocal tariff लगाएंगे.

फ़रवरी 15, 2025 - 09:03
 0  1
NDTV Explainer: जवाबी Tariff से भारत को कितना चिंतित होना चाहिए?

कारोबार का मूल मंत्र है मुनाफ़ा.अगर मुनाफ़ा न हो तो कारोबार करने का कोई फ़ायदा नहीं.इस बात को Make America Great Again और America First जैसे नारों के साथ सत्ता में आए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से बेहतर कौन जान सकता है, जो ख़ुद एक बड़े कारोबारी रहे हैं और अमेरिका की सत्ता में दूसरी बार काबिज हुए हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

पहले दौर में जो कमियां रह गईं उनकी भरपाई वो अपने दूसरे दौर में करने पर आमादा हैं.इसके लिए उनकी डिक्शनरी में सबसे पसंदीदा शब्द है Deal.उन्हें लगता है कि दुनिया के तमाम देश अमेरिका की दरियादिली का फ़ायदा उठा रहे हैं और अब वो ऐसा नहीं होने देंगे.वो उनसे डील करेंगे और इसके लिए उनका हथियार होगा टैरिफ़.इस टैरिफ़ से वो भारत को भी नहीं बख्श रहे हैं.ट्रंप ने भारत समेत दुनिया के तमाम देशों पर Reciprocal tariff यानी जवाबी टैरिफ़ लगाने का ऐलान कर दिया है.भारत पर इसका क्या असर होगा इस पर हम करेंगे विस्तार से बात.लेकिन सबसे पहले ये टैरिफ़ है क्या.
 

टैरिफ़ उन करों को कहते हैं जो कोई देश अपने यहां दूसरे देश से आयात होने वाले सामान पर लगाता है.इसकी कई वजह हो सकती हैं.

सबसे बड़ी वजह है अपने घरेलू उद्योग को बचाना.अगर घरेलू उद्योग में किसी चीज़ का उत्पादन महंगा हो रहा है और . दूसरा देश उसी चीज़ की सस्ती सप्लाई कर रहा है तो घरेलू उद्योग धंधों का सामान कौन ख़रीदेगा.उनके सामने अस्तित्व का संकट आ जाएगा..अपने उद्योगों को इससे बचाने के लिए एक देश दूसरे देश के उस सामान के आयात पर टैरिफ़ बढ़ा देता है जो सस्ता आ रहा है.टैरिफ़ बढ़ने पर कंपनियां माल को महंगा कर इसे ग्राहकों पर डाल देती हैं.. इससे वो सामान महंगा हो जाता है.अब लोग उसी चीज़ को महंगा क्यों ख़रीदेंगे.

Latest and Breaking News on NDTV
डोनल्ड ट्रंप पर अपने घरेलू उद्योग और रोज़गार को बचाने का बड़ा दबाव है. लिहाज़ा अपने निर्यात पर लगने वाले टैरिफ़ के जवाब में वो Reciprocal tariff लगाएंगे. प्रधानमंत्री मोदी के साथ प्रेस वार्ता में भी उन्होंने ये बात दोहराई.

ट्रंप को लगता है कि बीते चालीस पचास साल से पूरी दुनिया ने अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में ऊंचे टैरिफ़ लगाकर नाइंसाफ़ी की है.चाहे वो बड़ा व्यापारिक प्रतिद्वंदी चीन हो या अमेरिका का क़रीबी सहयोगी यूरोपियन यूनियन ही क्यों न हो.हालांकि हम बात भारत की करेंगे.ट्रंप से बातचीत के दौरान भारत ने अपना पक्ष रखा और ट्रंप ने माना कि मोदी उनसे ज़्यादा कठोर वार्ताकार हैं.

Latest and Breaking News on NDTV
बातचीत के दौरान भारत ने भी ठोस तरीके से अपना पक्ष रखा.प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत भी अपने राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखेगा.

अब सवाल ये है कि अपने-अपने हितों की रक्षा कर रहे भारत और अमेरिका के आर्थिक हितों में टकराव से कैसे बचा जाएगा.ट्रंप द्वारा जवाबी टैरिफ़ लगाने के फ़ैसले का क्या असर होगा.भारत की जीडीपी में निर्यात का बड़ा योगदान रहा है.

Latest and Breaking News on NDTV
पांच साल के औसत के मुताबिक भारत की जीडीपी का 20.8% निर्यात से आता है. अगर अमेरिका के साथ टैरिफ़ की बात करें तो भारत द्वारा अमेरिका से होने वाले आयात पर 8.5% औसत टैरिफ़ लगाया जाता है. जबकि अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं के आयात पर औसतन 3% टैरिफ़ लगाया जाता है.

तो जो बात ट्रंप कह रहे हैं वो आंकड़ों के हिसाब से तो सही है.लेकिन अगर आंकड़ों के आधार पर बराबरी की कोशिश की गई तो विकसित देश और विकासशील देशों के बीच का अंतर कभी पट नहीं पाएगा.वैसे तो दुनिया में मुक्त व्यापार पर ज़्यादा ज़ोर रहा है लेकिन कमज़ोर देशों के लिए भी प्रावधान किए जाते रहे हैं.

क्या चाहता है अमेरिका?

इसी दिशा में व्यापार के नियमन के लिए कई बड़े समझौते होते रहे हैं.इस सिलसिले में General Agreement on Tariffs and Trade (GATT) और World Trade Organization (WTO) यानी विश्व व्यापार संगठन में ये तय किया गया.  कि विकासशील देशों के साथ टैरिफ़ के मामले में विशेष और अलग व्यवहार किया जाएगा.. इसकी वजह ये है कि इन देशों का औद्योगिक क्षेत्र या कृषि क्षेत्र इतना मज़बूत नहीं है कि वो विकसित देशों के साथ बराबरी में खड़े हो पाएं.लिहाज़ा अमेरिका जैसे विकसित देश भारत जैसे विकासशील देशों के मुक़ाबले अपने टैरिफ़ को कम रखें..

लेकिन ट्रंप लगता है देशों के बीच कारोबारी न्याय की इस धारणा में यकीन नहीं रखते.उन्हें लगता है कि इस आधार पर अमेरिका का कुछ ज़्यादा ही फ़ायदा उठा लिया गया है.. इससे निपटने के लिए जवाबी टैरिफ़ को वो एक beautiful और fair system बताते हैं.वो कहते हैं कि अब हमें ये चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि कौन ज़्यादा टैरिफ़ लगा रहा है औऱ कौन कम.जैसे को तैसा टैरिफ़ लगाया जाएगा.लेकिन ट्रंप का आख़िर क्या नुक़सान हो रहा है जिसके कारण वो ऐसा करना चाहते हैं.
 

2021 से लेकर 2024 के बीच अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार रहा है. और व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा है. ताज़ा आंकड़ों की बात करें तो अप्रैल से नवंबर 2024 के बीच अमेरिका और भारत का आपसी व्यापार 82.52 अरब डॉलर रहा. इसमें भारत ने अमेरिका को 52.89 अरब डॉलर का निर्यात किया. और भारत ने अमेरिका से 29.63 अरब डॉलर का आयात किया. अमेरिका को छह महीने में 23.26 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ.


ये तो महज़ छह महीने की बात है लेकिन भारत के साथ अमेरिका को व्यापार घाटा बीते डेढ़ दशक से हो रहा है.2017 से 2021 तक अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर डोनल्ड ट्रंप के पहले दौर में भी ये चलन बना हुआ था हालांकि तब व्यापार घाटा लगभग स्थिर हो गया था.लेकिन बाइडेन सरकार में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा फिर बढ़ गया.
 

अमेरिका को दुनिया के तमाम देशों के साथ होने वाला कुल व्यापार घाटा क़रीब 1 ट्रिलियन डॉलर यानी क़रीब एक हज़ार अरब डॉलर के क़रीब हो चुका है.. इसमें से एक तिहाई व्यापार घाटा अमेरिका को अकेले चीन से होता है..


ये है ट्रंप की चिंता की वजह.और चीन के साथ तो वो किसी तरह की नरमी के मूड में नहीं हैं.चीन भी जवाबी टैरिफ़ लगाकर जवाब दे चुका है.लेकिन हमारी चिंता है कि भारत पर जवाबी टैरिफ़ का क्या असर होगा.जैसे ट्रंप पहले एलान ही कर चुके हैं कि वो स्टील और एल्युमिनियम आयात पर 25 फीसदी टैरिफ़ लगाएंगे.ये 12 मार्च से अमल में आएगा.

इसके बाद से भारत में छोटी स्टील कंपनियों अपने कारोबार पर असर का डर बना हुआ है.अगर अमेरिका ने टैरिफ़ बढ़ा दिया तो अमेरिका में इन कंपनियों का माल तो महंगा हो ही जाएगा, चीन और अन्य एशियाई स्टील कंपनियां अमेरिका के बजाय भारत में अपना सस्ता स्टील बेचने पर उतर आएंगी. इससे स्टील के दाम गिरेंगे और भारत के छोटे उत्पादकों के सामने चीन के सस्ते स्टील की डंपिंग से निपटना मुश्किल हो जाएगा.भारत में कई स्टील कंपनियों की मांग है कि सरकार देसी कंपनियों को सस्ते स्टील के आयात से बचाने के लिए कुछ करे.इंडियन स्टील एसोसिएशन ने अमेरिकी टैरिफ़ से बचाव के लिए सरकार से दखल की मांग की है.

Latest and Breaking News on NDTV



अमेरिका से भारत को कपड़ों यानी टेक्सटाइल का भी निर्यात होता है. जैसे Apparel एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष सुधीर सेखरी गारमेंट एक्सपोर्ट का बिजनेस करते हैं.उनका 80% गारमेंट निर्यात अमेरिका को होता है.लेकिन वो चिंतित नहीं लग रहे.उनका मानना है कि ट्रंप प्रशासन भारत से निर्यात होने वाले टेक्सटाइल ज़्यादा टैरिफ़ लगाएगा, इसकी संभावना कम है.उन्हें लगता है कि चीन के टेक्सटाइल पर ट्रंप सरकार टैरिफ़ बढ़ाएगी जिसका फ़ायदा भारत को होगा

पहले से ही Cotton और दूसरे टैक्सटाइल फैब्रिक के एक्सपोर्ट पर अमेरिका में Tariff 8% से 32% तक है...अगर Trump प्रशासन चाइनीस प्रोडक्ट्स पर High Tariff लगाता है है तो इससे भारतीय टेक्सटाइल एक्सपोर्टरों को फायदा होगा, उनके लिए एक्सपोर्ट के विस्तार की संभावनाएं बढ़ेगी-  सुधीर सेखरी, अध्यक्ष, AEPC 

भारत से निर्यात के आंकड़ों पर निगाह रखने वाली संस्था फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस के मुताबिक भारत से ज़्यादा निर्यात उन क्षेत्रों में होता है जहां अमेरिकी कंपनियां ज़्यादा सक्रिय नहीं हैं.यानी इस निर्यात से अमेरिकी कंपनियों को नुक़सान नहीं होता.लिहाज़ा अमेरिका द्वारा इन पर टैरिफ़ बढ़ाने की ज़्यादा संभावना नहीं है.Central Board of Indirect Taxes and Customs के चेयरमैन संजय अग्रवाल भी ऐसा ही मानते हैं.

Central Board of Indirect Taxes and Customs के मुताबिक भारत में अमेरिका से आयात होने वाले उत्पादों पर TARIFF या तो बहुत कम है या बिल्कुल नहीं है. जैसे कच्चे तेल पर ड्यूटी न के बराबर है. कोयले पर 2.5% है. हीरे पर 0% से 2.5% है. पेट्रोकेमिकल्स पर 7.5% और LNG पर 5% है.

कुल मिलाकर स्थिति ये है कि जब तक अमेरिका स्पष्ट तौर पर नहीं बता देता कि वो किस चीज़ पर कितना टैरिफ़ लगाएगा तब तक ये नहीं कहा जा सकता कि कहां कितना नुक़सान होगा.टैरिफ़ सिर्फ़ भारत पर नहीं लगेगा, बाकी देशों पर भी लगेगा.इससे भारत के लिए नया अमेरिका में नया बाज़ार भी खुल सकता है और भारत दूसरे देशों के सस्ते माल का बाज़ार भी बन सकता है जिससे निपटने की रणनीति बनानी होगी.और सबसे ख़ास बात ये है कि ट्रंप कारोबारी हैं और टैरिफ़ उनकी Negotiating tactic मानी जा रही है.

यानी वार्ता की रणनीति जिसके आधार पर वो चाहेंगे कि भारत अमेरिका से कुछ और चीज़ों की ख़रीद बढ़ाए जैसे रक्षा उपकरणों की.क्या इसके तहत अमेरिका अपने एफ़ 35 लड़ाकू विमान भारत को बेचने को तैयार होगा, ये देखना दिलचस्प रहेगा.वक्त है ब्रेक का.ब्रेक के बाद देखेंगे किस टैरिफ़ से नाराज़गी ने अमेरिका की आज़ादी के आंदोलन को कर दिया तेज़.

appuraja9 Appu Raja is a multifaceted professional, blending the roles of science educator, motivator, influencer, and guide with expertise as a software and application developer. With a solid foundation in science education, Appu Raja also has extensive knowledge in a wide range of programming languages and technologies, including PHP, Java, Kotlin, CSS, HTML5, C, C++, Python, COBOL, JavaScript, Swift, SQL, Pascal, and Ruby. Passionate about sharing knowledge and guiding others, Appu Raja is dedicated to inspiring and empowering learners in both science and technology.