Holi kab hai 2025 : क्या इस बार भी होली की डेट को लेकर हो रहा है कंफ्यूजन, जानिए 14 या 15 मार्च, कब मनेगी होली
होली को लेकर अगर आपके मन में भी इस बार कंफ्यूजन हो रहा है तो वैदिक पंचांग के अनुसार इसकी सही डेट जरूर जानिए.
Holi Date and Time 2025 : साल के शुरुआती महीने कई सारे त्योहार लेकर आते हैं. पहले मकर संक्रांति और लोहड़ी, इसके बाद महाशिवरात्रि और फिर होली (Holi 2025) की जबरदस्त धूम मचती है. होली की बात करें तो ये त्योहार धर्म और आस्था के साथ साथ रंगों का भी त्योहार है. अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक के रूप में होलिका दहन (Holika Dahan) होता है और उसके अगले दिन पूरे देश में रंगों से भरी होली खेली जाती है. हिंदू पंचांग की बात करें तो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन धुलंडी यानी रंगों भरी होली खेली जाती है. पिछले साल यानी 2024 में होली की डेट को लेकर देश भर में कंफ्यूजन था. भद्रा (Bhadra) के साए के चलते होली की दो दो तिथियों को लेकर लोग काफी संशय में आ गए थे. खास बात ये है कि पिछले साल की तरह इस साल भी कुछ लोगों को होली की डेट का कंफ्यूजन है. कुछ जगहों पर होलिका दहन की तिथि 14 मार्च बताई जा रही है और कुछ जगहों पर होलिका दहन 15 मार्च को करने की बात कही जा रही है.ऐसे में कंफ्यूज होने की बजाय होली की सही डेट यहां जानिए. चलिए हम आपको बताते हैं कि अयोध्या के ज्योतिषियों ने वैदिक पंचांग के अनुसार होली की सही डेट क्या बताई है.
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कब है होली 2025 (When is Holi 2025)
अयोध्या के पंडितों ने वैदिक पंचांग का जायजा लेकर होली की सही डेट बताई है. उनके अनुसार इस साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 25 मिनट से आरंभ हो रही है. पूर्णिमा तिथि का समापन अगले दिन यानी 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर हो रहा है. चूंकि द्रिक पंचांग में उदया तिथि महत्वपूर्ण कही जाती है, इसलिए उदया तिथि के अनुसार होलिका दहन 14 मार्च के दिन होगा. 14 मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 30 मिनट पर होगा. इसी मुहूर्त होलिका दहन किया जाएगा.
क्यों किया जाता है होलिका दहन (Holika Dahan Katha)
फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को रात के समय होलिका दहन किया जाता है. इस दिन लकड़ी, गोबर के उपले जलाकर होलिका दहन किया जाता है. इसके पीछे एक कथा प्रचलित है. राजा हिरण्यकश्यप का बेटा प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था. लेकिन हिरण्यकश्यप इस बात को पसंद नहीं करता था. उसने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को चुना. होलिका को ब्रह्मा जी का वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती. ऐसे में होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ जाती है. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से होलिका जल जाती है और प्रहलाद बच जाता है. तब से हर साल अधर्म पर धर्म की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाने लगा.
होलिका दहन पर करें ये उपाय (Holika Dahan Remedies)
होलिका दहन की रात मनोकामना प्राप्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. मान्यता है कि होलिका दहन की राख बहुत ही पवित्र होती है. होलिका दहन के बाद उसकी राख को ठंडा होने के बाद घर ले आना चाहिए. होलिका दहन की राख को माथे पर लगाने से भाग्य और बुद्धि तेज होने की बात कही जाती है. अगर घर में किसी को बहुत ज्यादा नजर लगती है तो होलिका दहन की राख को उसके माथे पर लगाने से नजर उतर जाती है. अगर किसी पर राहु और केतु की महादशा चल रही है तो उसे होलिका दहन की राख को मुट्ठी में लेकर शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए. इससे राहु और केतु की महादशा से राहत मिलती है. होलिका दहन की राख घर में सुख समृद्धि के लिए भी अच्छी मानी जाती है. इस राख को लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी में रख देना चाहिए. इससे घर में कभी भी धन की कमी नहीं रहती है.
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