CBI डायरेक्टर की नियुक्ति में CJI क्यों हों शामिल? उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आखिर क्यों कहा ऐसा, पढ़ें

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) ने कहा कि न्यायिक आदेश के जरिए कार्यकारी शासन एक संवैधानिक विरोधाभास है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता. सभी संस्थानों को अपनी संवैधानिक सीमा के भीतर काम करना चाहिए.

फ़रवरी 15, 2025 - 09:03
 0  1
CBI डायरेक्टर की नियुक्ति में CJI क्यों हों शामिल? उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आखिर क्यों कहा ऐसा, पढ़ें

देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) का कहना है कि भारत जैसे लोकतंत्र में देश के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice Of India) को किसी भी कार्यकारी नियुक्ति में शामिल नहीं होना चाहिए. उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि देश के चीफ जस्टिस,  सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति में हिस्सा कैसे ले सकते हैं? क्या इसके लिए कोई कानूनी दलील हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस तरह के मानदंडों पर पुनर्विचार करने का वक्त आ गया है. उन्होंने भोपाल में राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी में बोलते हुए शक्तियों के विभाजन के सिद्धांतों के उल्लंघन को लेकर गहरी चिंता जताई. 

जगदीप धनखड़ ने कहा, "मैं इस बात की सराहना कर सकता हूं कि वैधानिक निर्देश इसलिए बने, क्योंकि उस समय की कार्यपालिका ने न्यायिक फैसले के आगे घुटने टेक दिए थे. लेकिन अब इस पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है. यह निश्चित रूप से लोकतंत्र के साथ मेल नहीं खाता. हम भारत के मुख्य न्यायाधीश को किसी शीर्ष स्तर की नियुक्ति में कैसे शामिल कर सकते हैं."

जल्द होना है नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन 

धनखड़ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अगले मुख्य चुनाव आयुक्त चुने जाने के लिए बैठक होनी है.  मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 पारित होने के बाद यह नियुक्ति पहली बार होगी. बता दें कि यह अधिनियम मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद आया है, जिसमें पीएम, विपक्ष के नेता और सीजेआई की तीन सदस्यीय समिति को संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक काम करने का निर्देश दिया गया था. हालांकि, नए कानून में सीजेआई को समिति से बाहर रखा गया है. आलोचकों का कहना है कि नया कानून नियुक्तियों में कार्यपालिका के ज्यादा हस्तक्षेप के बराबर है और यह चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के लिए हानिकारक है.

बता दें कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर होने वाले हैं. उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठक सोमवार को होने की उम्मीद है. 

'शासन अहंकारी हो तो जवाबदेही नहीं रहेगी'

धनखड़ ने कहा कि न्यायिक आदेश के जरिए कार्यकारी शासन एक संवैधानिक विरोधाभास है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अब और बर्दाश्त नहीं कर सकता. उपराष्ट्रपति ने कहा कि सभी संस्थानों को अपनी संवैधानिक सीमा के भीतर काम करना चाहिए. उनका कहना है कि सरकारें विधायिका के प्रति जवाबदेह होती हैं. वे समय-समय पर वोटर्स के प्रति भी जवाबदेह होती हैं. लेकिन अगर कार्यकारी शासन अहंकारी हो या आउटसोर्स किया गया है, तो जवाबदेही नहीं रहेगी.

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विधायिका या न्यायपालिका की ओर से शासन में कोई भी हस्तक्षेप संविधानवाद के विपरीत है.   लोकतंत्र संस्थागत अलगाव पर नहीं, बल्कि समन्वित स्वायत्तता पर चलता है. निसंदेह, संस्थाएं अपने-अपने क्षेत्र में कार्य करते हुए उत्पादक और इष्टतम योगदान देती हैं. न्यायिक समीक्षा की शक्ति पर धनखड़ ने कहा कि यह अच्छी बात है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि कानून संविधान के अनुरूप हों. 

"फैसले खुद बोलते हैं"

उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका की सार्वजनिक मौजूदगी मुख्य रूप से फैसलों के जरिए होनी चाहिए. फैसले खुद बोलते हैं, अभिव्यक्ति का कोई अन्य तरीका संस्थागत गरिमा को कमजोर करता है. जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह वर्तमान स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहते हैं, ताकि फिर से उसी प्रणाली में आया जा के,  एक ऐसी प्रणाली जो हमारी न्यायपालिका को उत्कृष्टता दे सके. उन्होंने कहा कि जब हम दुनिया भर में देखते हैं, तो हमें कभी भी न्यायाधीशों का वह रूप नहीं मिलता, जैसा हम सभी मुद्दों पर यहां देखते हैं.

इसके बाद धनखड़ ने मूल संरचना सिद्धांत पर चल रही बहस पर बात की, जिसके मुताबिक, संसद भारतीय संविधान की कुछ बुनियादी विशेषताओं में संशोधन नहीं कर सकती. केशवानंद भारती मामले पर पूर्व सॉलिसिटर जनरल अंध्या अर्जुन की पुस्तक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़ने के बाद, मेरा विचार है कि संविधान के मूल ढांचे के सिद्धांत का एक बहस योग्य, न्यायशास्त्रीय आधार है. 

 

appuraja9 Appu Raja is a multifaceted professional, blending the roles of science educator, motivator, influencer, and guide with expertise as a software and application developer. With a solid foundation in science education, Appu Raja also has extensive knowledge in a wide range of programming languages and technologies, including PHP, Java, Kotlin, CSS, HTML5, C, C++, Python, COBOL, JavaScript, Swift, SQL, Pascal, and Ruby. Passionate about sharing knowledge and guiding others, Appu Raja is dedicated to inspiring and empowering learners in both science and technology.