यह महान दृश्य है... विराट भारत की परंपरा का साक्षी, समुद्र मंथन से छलके अमृत से अस्तित्व में आया; देखें तस्वीरें

Mahakumbh 2025 : कुंभ इस नए भारत का आईना है. वह सुदूर अतीत से चलता हुआ इस वर्तमान तक पहुंचा है और एक मज़बूत सुनहरे भविष्य का भरोसा दिला रहा है.

जनवरी 15, 2025 - 08:06
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यह महान दृश्य है... विराट भारत की परंपरा का साक्षी, समुद्र मंथन से छलके अमृत से अस्तित्व में आया; देखें तस्वीरें

यह एक महान दृश्य है... सहस्राब्दियों से चला आ रहा नदियों का संगम और सहस्राब्दियों से उसमें डुबकी लगा रहा एक विराट भारत. वह भारत, जो किसी नक्शे में नहीं समाता, किसी इतिहास में नहीं अटता, जो स्मृति के पार जाता है, जो व्याख्याओं को झटक देता है, जो एक उदात्त भावना का नाम है- वह भावना जो सदियों से नदियों, पर्वतों और जंगलों में जाकर अपने प्रायश्चित उलीच आती है, अपने भीतर बसे देवताओं का पुनर्संस्कार करती है और खुद को पुनर्नवा करती है.

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इसी परंपरा का हिस्सा है कुंभ- वह कुंभ जो समुद्र मंथन के बाद हुए संघर्ष में छलके अमृत से अस्तित्व में आया- उस परंपरा को अजर-अमर बनाता हुआ, जिसकी न जाने कितनी कड़ियां कितने रूपों में इस महादेश के स्मृतिकोष में बिखरी पड़ी हैं- कई कहानियों से जुड़ी, कई कहानियों को जोड़ती हुई.

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हर 12 साल पर आता है ये महाकुंभ

एक गंगा, एक यमुना और एक खोई हुई सरस्वती- ये नदियों के नाम नहीं हैं, एक स्मृति के नाम हैं, एक परंपरा के नाम हैं, जिनमें बसता है भारत. न जाने कितनी सदियों से सूरज हर 12 साल पर इस परंपरा का साक्षी बनता है- हिमालय की कोख से निकलीं नदियों का जल इस परंपरा को सींचता है और इस अनूठे संगम से निकलता है एक नया मनुष्य, एक नया समाज, एक नया देश.

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नई धज में है यह भारत

इन दिनों यह नया देश- यह भारत- एक नई धज में है. संगम के तट पर रोज़ उमड़ रहा करोड़ों का जनसमूह इस नए भारत का हिस्सा है. इस आस्था के साथ अब सार्वजनिक विश्वास का बल है- इस भरोसे का कि इस विराट दृश्य में कुछ भी अघटित नहीं घटेगा- इस आश्वस्ति का कि उसकी यात्रा सरल और सुरक्षित रहेगी, इस उल्लास का कि यहां जो कुछ हो रहा है, वह विश्व पटल पर नए भारत की नई पहचान का माध्यम बन रहा है. यह नया भारत जो कुछ भी कर रहा है, इस विराट और उदात्त स्तर पर कर रहा है कि सारी दुनिया इसे देखती रह जा रही है.

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कुंभ एक धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजन भर नहीं, बल्कि भारत की नई क्षमता की पहचान

यह कुंभ भी इसकी मिसाल है. इस कुंभ के लिए जो व्यवस्था की गई है, वह अभी तक अद्वितीय-अनुपम कही जा सकती है. देश और दुनिया से लोग आ रहे हैं और बिना किसी मुश्किल के आ रहे हैं. कुंभ एक धार्मिक-आध्यात्मिक आयोजन भर नहीं है- यह कई और आयोजनों की तरह भारत की नई क्षमता और मेधा की पहचान भी है. यह अनायास नहीं है कि इस महाकुंभ से निकलने वाले विराट कारोबार का अनुमान लगाया जा रहा है.

अनुमान के मुताबिक,

  • 45 दिन में क़रीब 45 करोड़ लोग संगम के तट पर आ रहे हैं
  • इनमें देश के कोने-कोने के अलावा करीब डेढ़ सौ देशों के लोग भी आ रहे हैं
  • माना जा रहा है कि ऐसे विदेशी श्रद्धालुओं की तादाद भी 15 लाख से कम नहीं होगी.
  • कुल 2 लाख करोड़ के आसपास का कारोबार होने की उम्मीद है.
  • यूपी सरकार ने ही इसके लिए 7,000 करोड़ का बजट रखा है.
  • प्रयागराज तक पहुंचने वाले मुख्य सात मार्गों के लिए चाक-चौबस्त व्यवस्था की गई है
  • पीपे के तीस पुल बनाए गए हैं, जिनसे संगम तक आना-जाना आसान होगा.
  • इसके अलावा 3000 ट्रेनें चलाई गई हैं जो 13,000 फेरे लगाएंगी.

कुंभनगरी अगले 45 दिनों तक दुनिया से आ रहे तमाम तरह के मेहमानों के स्वागत के लिए तैयार है. इनमें साधु-संत भी हैं, ग़रीब आम जन भी हैं और दुनिया के बहुत बड़े रईस लोग भी शामिल हैं- जैसे स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन जॉब. इस वजह से यहां जिस दो लाख करोड़ के कारोबार की उम्मीद की जा रही है, उसमें बड़ा हिस्सा होटल, गेस्ट हाउस, ट्रांसपोर्ट, टूर-ट्रैवल्स पैकेज, खानपान आदि का होगा.

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लेकिन इस आध्यात्मिक मेले के साथ जो आधुनिक रंग जुड़ा है, वह सबसे उल्लेखनीय है. 40,000 हेक्टेयर क्षेत्र में जो डेढ़ लाख से ज़्यादा टेंट लगे हैं, उनमें हर तबके के लिए गुंजाइश है. 1500 रुपये से लेकर 35000 रुपये प्रतिदिन किराये वाले ये टेंट आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं- इनमें सीसीटीवी कैमरे भी हैं, वाई-फाई भी हैं, खानपान और अन्य इंतज़ाम भी.

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दरअसल यहां एक संगम आध्यात्मिकता और आधुनिकता का भी है. सरकार इसे डिजिटल कुंभ बता रही है.

  • महाकुंभ की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए 56 साइबर योद्धा तैनात किए गए हैं.
  • एक साइबर पुलिस स्टेशन भी बनाया गया है.
  • मेला क्षेत्र में 40 वीएमडी- यानी वेरिएबल मेसेजिंग डिसप्ले लगाए गए हैं जो साइबर ठगी से सावधान करते हैं.
  • 1920 नंबर की एक हेल्पलाइन भी है और कई सरकारी वेबसाइट्स पर तरह-तरह की सुविधाएं हैं.
  • कुंभ मेला क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर 10 स्टॉल लगाए गए हैं जहां कुंभ से जुड़ी प्रमुख घटनाओं के वीडियो देखे जा सकेंगे. इनमें अखाड़ों की पेशवाई, उनका स्नान, गंगा आरती आदि शामिल हैं.
  • इन सबके बीच 2000 ड्रोन मिलकर प्रयाग माहातम्य और समुद्र मंथन की कथा आकाश में उकेरेंगे.
  • एआई की मदद से खोया-पाया केंद्र चलेगा
  • एआई ही सुरक्षा में भी मददगार होंगे- ड्रोन और ऐंटी ड्रोन सिस्टम में भी वो शामिल होंगे
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ख़ास बात ये है कि महाकुंभनगर को बाक़ायदा एक नए शहर का दर्जा दे दिया गया है और इसके लिए भी ऑनलाइन इंतज़ाम हैं.

  • "Maha Kumbh Land and Facility Allotment" वेबसाइट के जरिए जमीन या अन्य सुविधाएं मिल सकती हैं.
  • 10,000 संस्थानों के डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें तमाम सरकारी संस्थाओं के अलावा सामाजिक और धार्मिक संगठन भी शामिल हैं.
  • मॉनसून से पहले और बाद यहां टॉपोग्राफ़ी की सटीक जानकारी के लिए ड्रोन सर्वे भी होगा.
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144 साल बाद महाकुंभ का महासंयोग

यह नए भारत का नया कुंभ है- दरअसल महाकुंभ- क्योंकि 144 साल बाद ये लौटा है. इस महाकुंभ में भारत की विराटती भी दिखती है, उसका वैभव भी, उसकी सतर्कता और उसका आत्मविश्वास भी.

महाकुंभ ही नहीं, हाल के और भी आयोजन याद दिलाते हैं कि भारत विकास की नई यात्रा पर निकल चुका है. यहां जी-20 का आयोजन भी होता है तो इतने व्यापक स्तर पर कि दुनिया दांतों तले उंगली दबा लेती है. दिल्ली से कश्मीर तक अलग-अलग मुद्दों पर उसकी बैठकें चलती रहती हैं.

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यहां अयोध्या में दीए भी जलते हैं तो लाखों की ऐसी तादाद में जिनसे विश्व कीर्तिमान बन जाता है. यह भारत अब ओलंपिक खेलों की दावेदारी का भी मन बना रहा है.

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इस नए भारत का आईना है कुंभ

फिर दोहराना होगा कि कुंभ इस नए भारत का आईना है. वह सुदूर अतीत से चलता हुआ इस वर्तमान तक पहुंचा है और एक मज़बूत सुनहरे भविष्य का भरोसा दिला रहा है- एक ऐसे भारत का जो जितना अपनी आर्थिक प्रगति के लिए जाना जा रहा है, उतना ही अपनी आध्यात्मिक चेतना के लिए, और उतना ही अपने सामाजिक मूल्यों के लिए. कुंभ को पास से देखिए या दूर से, खुली आंख से देखिए या डिजिटल निगाह से, उसमें एक झिलमिलाता-दमकता हुआ भारत दिखेगा.. और दिखेंगे भारत के करोड़ों आम जन- जो बेहद ख़ास हैं कि न जाने कहां से किन धागों से बंधे संगम के तट पर आ पहुंचे हैं- फिर से 12 बरस बाद मिलने की प्रतिज्ञा और प्रतीक्षा के साथ.

appuraja9 Appu Raja is a multifaceted professional, blending the roles of science educator, motivator, influencer, and guide with expertise as a software and application developer. With a solid foundation in science education, Appu Raja also has extensive knowledge in a wide range of programming languages and technologies, including PHP, Java, Kotlin, CSS, HTML5, C, C++, Python, COBOL, JavaScript, Swift, SQL, Pascal, and Ruby. Passionate about sharing knowledge and guiding others, Appu Raja is dedicated to inspiring and empowering learners in both science and technology.