बढ़ेगी दुश्मनों की बेचैनी! आज नौसेना को मिलेंगे तीन अत्याधुनिक युद्धपोत; जानें इसकी खासियत
इन युद्धपोतों का शामिल होना भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. ये देश की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में दो नौसैनिक युद्धपोत और एक पनडुब्बी, तीनों की कमीशनिंग पर इन्हें राष्ट्र को समर्पित करेंगे. ये युद्धपोत आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि तथा पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर है. इन इन तीनों का भारतीय नौसेना में शामिल होना देश की समुद्री सुरक्षा और रक्षा निर्माण में एक मील का पत्थर साबित होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्धपोतों की कमीशनिंग को लेकर एक्स पर एक पोस्ट भी किया. उन्होंने लिखा, "बुधवार 15 जनवरी को हमारी नौसेना क्षमताओं के लिए एक विशेष दिन होने जा रहा है. तीन अग्रणी नौसैनिक लड़ाकू जहाजों के शामिल होने से रक्षा में वैश्विक नेता बनने की हमारी कोशिशों को बल मिलेगा और आत्मनिर्भरता की हमारी तलाश को बल मिलेगा."
Tomorrow, 15th January, is going to be a special day as far as our naval capacities are concerned. The commissioning of three frontline naval combatants will strengthen our efforts towards being a global leader in defence and augment our quest towards self-reliance. https://t.co/zhrVjbgA2T— Narendra Modi (@narendramodi) January 14, 2025
आईएनएस सूरत की खासियत :
- पी15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर परियोजना का चौथा और अंतिम युद्धपोत
- 164 मीटर लंबाई और 7400 टन भार ढोने की क्षमता
- समुद्र में 30 नॉट्स (लगभग 55 किलोमीटर) की स्पीड
- यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे उन्नत विध्वंसकों में से एक
- इस जहाज में 75 फीसदी स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल
- अत्याधुनिक हथियार-सेंसर पैकेज और नेटवर्क-केंद्रित क्षमताओं से लैस
- सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने की क्षमता
- इस युद्धपोत का शामिल होना भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक
आईएनएस सूरत का निर्माण कार्य नवंबर 2019 में शुरू हुआ था. वहीं मई 2022 में इसे लॉन्च किया गया था.
आईएनएस नीलगिरि की खूबी :
- पी17ए स्टील्थ फ्रिगेट परियोजना का पहला जहाज
- भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन
- आईएनएस नीलगिरि स्टील्थ तकनीक से लैस
- 149 मीटर लंबाई और 6670 टन भार ढोने की क्षमता
- समुद्र में लंबे समय तक ऑपरेशन करने की क्षमता
- अगली पीढ़ी के स्वदेशी फ्रिगेट का एक उत्कृष्ट उदाहरण
- देश की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को करेगा और मजबूत
- सतह से सतह मिसाइल और मीडियम रेंज सतह से हवा में मार करने की क्षमता
आईएनएस नीलगिरि का निर्माण कार्य दिसंबर 2017 में शुरू हुआ. वहीं सितंबर 2019 में इसे लॉन्च किया गया. नीलगिरि ने अपने सभी समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए.
आईएनएस वाघशीर की खास बातें :
- पी75 स्कॉर्पियन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी
- 67 मीटर लंबी और 1550 टन वजनी
- एंटी शिप मिसाइल, वायर-गाइडेड टॉरपीडो और उन्नत सोनार सिस्टम से लैस
- यह पनडुब्बी निर्माण में देश की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रतीक
- इसका निर्माण फ्रांस के नौसेना समूह के सहयोग से किया गया
- इसके नौसेना में शामिल होने से देश की पनडुब्बी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी
- यह देश को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा
इन युद्धपोतों का शामिल होना भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है. ये देश की समुद्री सुरक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा. आईएनएस वाघशीर के नौसेना में शामिल होने से देश की पनडुब्बी क्षमता भी कई गुना बढ़ जाएगी.