दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर आकर्षण का केंद्र रहेगी बिहार की झांकी

दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी आकर्षण का केंद्र रहेगी. प्राचीन काल से बिहार ज्ञान, मोक्ष एवं शांति की भूमि रही है. बिहार की झांकी के माध्यम से ज्ञानभूमि नालन्दा की प्राचीन विरासत एवं उसके संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के साथ ही नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से बिहार को पुनः शिक्षा के मानचित्र पर वैश्विक रूप में स्थापित करने के प्रयास को दर्शाया गया है. इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध की अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के अनूठे प्रयास को भी दर्शाया गया है. झांकी के अग्र भाग में बोधिवृक्ष इस बात का संदेश दे रही है कि इसी धरती से ज्ञान का प्रकाश सम्पूर्ण विश्व में फैला है.

जनवरी 23, 2025 - 07:56
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दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर आकर्षण का केंद्र रहेगी बिहार की झांकी

दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी आकर्षण का केंद्र रहेगी. प्राचीन काल से बिहार ज्ञान, मोक्ष एवं शांति की भूमि रही है. बिहार की झांकी के माध्यम से ज्ञानभूमि नालन्दा की प्राचीन विरासत एवं उसके संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के साथ ही नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से बिहार को पुनः शिक्षा के मानचित्र पर वैश्विक रूप में स्थापित करने के प्रयास को दर्शाया गया है. इसके अतिरिक्त भगवान बुद्ध की अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील को इको टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने के अनूठे प्रयास को भी दर्शाया गया है. झांकी के अग्र भाग में बोधिवृक्ष इस बात का संदेश दे रही है कि इसी धरती से ज्ञान का प्रकाश सम्पूर्ण विश्व में फैला है.

बिहार राज्य की झांकी में बिहार की समृद्ध ज्ञान एवं शांति की परंपरा को प्रदर्शित किया गया है. झांकी में शांति का संदेश देते भगवान बुद्ध को प्रदर्शित किया गया है. भगवान बुद्ध की यह अलौकिक मूर्ति राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा जलाशय में अवस्थित है, जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं. वर्ष 2018 में स्थापित एक ही पत्थर से बनी 70 फीट की भगवान बुद्ध की इस अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील का विकास इको टूरिज्म के क्षेत्र में बिहार सरकार का अनूठा प्रयास है.

झांकी में प्राचीन नालन्दा महाविहार (विश्वविद्यालय) के भग्नावशेषों को भी दर्शाया गया है, जो इस बात के साक्षी हैं कि चीन, जापान एवं मध्य एशिया के सुदूरवर्ती देशों से छात्र यहां ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे. नालन्दा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा के प्रतीक हैं. इन भग्नावशेषों का संरक्षण एवं संवर्द्धन भारतीय सांस्कृति की धरोहर को संजोने के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है. बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से नालन्दा का प्राचीन गौरव पुर्नस्थापित हो रहा है. झांकी में बिहार की प्राचीन एवं संमृद्ध विरासत को भित्ति चित्रों के माध्यम से भी उकेरा गया है.

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प्राचीन नालन्दा को ज्ञान केन्द्र के रूप में पुर्नस्थापित करने की दृष्टि से राजगीर में ही अन्तरराष्ट्रीय नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है. नवनिर्मित नालन्दा विश्वविद्यालय का लोकार्पण प्रधानमंत्री द्वारा 19 जून 2024 को किया गया था. प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय की वास्तुकला पर आधारित इस आधुनिक संरचना में सारिपुत्र स्तूप, गोपुरम प्रवेश द्वार तथा पारम्परिक बरामदे की अवधारणा को दर्शाया गया है. पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से निर्मित इन संरचनाओं से यह विश्वविद्यालय कार्बन न्यूट्रल तथा Net Zero कैम्पस के रूप में स्थापित हुआ है.

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