चीन भी साथ, अमेरिका भी पास... समझिए अपनी स्पेशल डेप्लोमेसी से कैसे दुनिया का फेवरेट बन रहा भारत

ग्लोबल लेवल पर भारत इस समय एक अनोखी स्थिति में है. बढ़ती युवा आबादी, घरेलू मांग पर आधारित आर्थिक तरक्की के साथ ही G-7 (दुनिया के सबसे विकसित 7 देशों को ग्रुप) और ब्रिक्स देशों के साथ मजबूत रिश्ते भारत की ताकत हैं.

जनवरी 30, 2025 - 10:02
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चीन भी साथ, अमेरिका भी पास... समझिए अपनी स्पेशल डेप्लोमेसी से कैसे दुनिया का फेवरेट बन रहा भारत

अमेरिका और चीन दुनिया के 2 बड़े देश हैं. दोनों के हित अलग-अलग हैं. प्राथमिकताएं भी एक समान नहीं हैं. ये दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ अपनी-अपनी धुरियों पर चलते हैं. ऐसे में दोनों के साथ बनाकर चलना किसी तीसरे देश के लिए आसान नहीं है. लेकिन, भारत ऐसा कर रहा है. लंबे समय से भारत ने अमेरिका से अच्छे रिश्ते बरकरार रखे हैं. अमेरिका में चाहे ओबामा सरकार हो या ट्रंप सरकार. बाइडेन का शासन हो या फिर ट्रंप का दूसरा कार्यकाल... हर दौर में भारत, अमेरिका का फेवरेट बना रहा है. हाल के समय में भारत ने अमेरिका के साथ-साथ चीन को भी साधा है. लंबे समय से दोनों देशों के बीच रिश्ते पर जमी बर्फ पिघल रही है. पहले चीन के साथ LAC पर विवाद के कई पॉइंट्स पर डिसएंगेजमेंट डील हुई. अब कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट सर्विस शुरू होने जा रही है. ये भारत की कूटनीति का ही नतीजा है. 

आइए समझते हैं क्यों इतनी स्पेशल है भारत की डेप्लोमेसी, जिसकी बदौलत भारत ने एक ओर चीन को साथ में लिया और अमेरिका को भी अपने पास बिठाया. अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भारत की इतनी अहमियत क्यों है? आखिर क्यों हर देश भारत के साथ दोस्ती करना और उसे बनाए रखना चाहते हैं:-

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ग्लोबल लेवल पर भारत इस समय एक अनोखी स्थिति में है. बढ़ती युवा आबादी, घरेलू मांग पर आधारित आर्थिक तरक्की के साथ ही G-7 (दुनिया के सबसे विकसित 7 देशों को ग्रुप) और ब्रिक्स देशों के साथ मजबूत रिश्ते भारत की ताकत हैं. ऐसे में गेल्डमैन सैक्स के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री जीम ओ नील का आकलन एकदम सही लगता है कि G-7 और ब्रिक्स के सभी देश भारत से दोस्ती चाहते हैं, तो इसका ज़्यादातर क्रेडिट प्रधानमंत्री मोदी को जाता है.

दुनिया के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफें करते नहीं थकते. उनकी तस्वीरें भारतीय विदेश नीति और कूटनीति दोनों को परिभाषित करती हैं. दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं के बीच आत्मविश्वास से भरे एक मजबूत नेता, एक मजबूत भारत के प्रतिनिधि हैं PM मोदी. मोदी एक ऐसे देश के प्रतिनिधि हैं, जो तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है.

अमेरिका के साथ संबंधों में आया बदलाव
भारत की विदेश नीति और कूटनीति के मामले में सबसे बड़ा बदलाव अमेरिका के साथ संबंधों में आया है. दशकों तक एक दूसरों को चिंता भरी निगाहों से देखने के बाद अब भारत और अमेरिका सबसे नजदीकी रणनीतिक साझेदार हैं. पक्के दोस्त हैं. दोनों देशों ने कई ऐसे बुनियादी समझौतों को मंजूर किया है, जिस पर दोनों पक्षों को राजी होने में कई साल लग गए. 

अमेरिका अब भारत को रूस के साथ उसकी नजदीकी के चश्मे से नहीं देखता. भारत भी अमेरिका को पाकिस्तान से उसके रिश्तों के चश्मे से नहीं देखता. भारत और अमेरिका के सैन्य और रणनीतिक तौर पर गैर नाटो देशों में सबसे नजदीकी रिश्ते हैं. इस साझेदारी को बनाने में नरेंद्र मोदी का निर्णायक हाथ रहा. दुनिया ने ओबामा के साथ मोदी की अच्छी केमिस्ट्री देखी. उनके बाद सत्ता में आए डोनाल्ड ट्रंप को भी भारत से दोस्ती के मायने का अहसास हो गया.

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अहमदाबाद में 'नमस्ते ट्रंप' और टेक्सास में 'हाउडी मोदी'
2020 के US इलेक्शन से पहले PM मोदी ने सितंबर 2019 में अमेरिका का दौरा किया था. तब टेक्सास में ट्रंप ने उनके लिए‘हाउडी मोदी' कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में ट्रंप और मोदी ने करीब 50 हजार से ज्यादा भारतीय-अमेरिकियों को संबोधित किया. फिर फरवरी 2020 में ट्रंप भारत आए थे. तब मोदी ने उनके लिए गुजरात के अहमदाबाद में 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम का आयोजन किया था. 

'नमस्ते ट्रंप' में डोनाल्ड ट्रंप को इस बात का एहसास दिलाया गया कि भारत के साथ दोस्ती के क्या मायने हो सकते हैं. तब डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था, "प्रधानमंत्री मोदी का जीवन इस महान देश की अनंत संभावनाओं को रेखांकित करता है. सब इन्हें प्यार करते हैं, लेकिन ये बहुत सख्त हैं." हालांकि, ट्रंप 2020 का चुनाव हार गए थे. फिर भी दोनों नेताओं की दोस्ती बनी रही. अब 4 साल के अंदर ट्रंप ने सत्ता में वापसी कर ली है. 

फरवरी में फिर मिल सकते हैं मोदी-ट्रंप
प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच इस तरह की एक और मुलाकात के पूरे आसार बन रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, अगले महीने दोनों के बीच द्विपक्षीय बातचीत हो सकती है. वहीं, फ्रांस में 10-11 फरवरी को AI समिट है, जिसके लिए PM पेरिस पहुंच रहे हैं. अगर ट्रंप भी आते हैं, तो दोनों नेताओं की मुलाकात हो जाएगी. इससे पहले सोमवार को ट्रंप और PM मोदी के बीच टेलिफोन पर बातचीत हुई. 

किन मुद्दों पर हो सकती है बात?
ट्रंप के राष्ट्पति बनने के बाद अमेरिका में नया माहौल है. कई बदलाव हुए हैं. इसलिए माना जा रहा है कि फरवरी में संभावित मुलाकात में ट्रंप और मोदी के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हो सकती है:-

-गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में रह रहे भारतीयों की वापसी.
-भारत के लोगों को वीज़ा का मामला. 
-टैरिफ़ की नई दरें.
-सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान. 

ट्रंप के आने के बाद भारत 25 अरब डॉलर के निर्यात बाज़ार की उम्मीद कर रहा है. हालांकि, कुछ सामानों पर भारत को भी टैक्स घटाना पड़ सकता है.

ट्रंप के लिए ये हो सकता है बातचीत का एजेंडा
वहीं, दुनिया के मामलों में भारत की अहमियत को देखते हुए ट्रंप हिंद महासागर और प्रशांत महासागर क्षेत्र में स्थिरता, पश्चिम एशिया के हालात, हमास-इज़रायल जंग, रूस-यूक्रेन युद्ध और यूरोप के हालात को लेकर भी PM
मोदी के साथ बात कर सकते हैं.

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चीन के साथ भी सुधर रहे रिश्ते
ट्रंप की नज़रों में PM मोदी की अहमियत के मायने और बढ़ जाते हैं, क्योंकि आज के माहौल में ट्रंप के सबसे ज़्यादा निशाने पर चीन है. साल 2020 में गलवान झड़प और डोकलाम विवाद के बाद भारत और चीन के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे. इसी के बाद से कैलाश मानसरोवर यात्रा बंद हो गई. कोविड के दौरान भारत-चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट सर्विस भी रोक दी गई. हालांकि, रिश्तों पर जमी बर्फ अब पिघल रही है. भारत के चीन के साथ रिश्तों में लगातार सुधार हो रहा है. 

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-विदेश सचिव विक्रम मिसरी हाल ही में चीन के दौरे पर थे. उसका नतीजा ये निकला है कि इसी साल गर्मियों से कैलाश मानसरोवर की यात्रा फिर शुरू होगी. 
-दोनों देशों के बीच बंद पड़ी सीधी उड़ानें भी बहाल होने जा रही है. चीन के साथ लगती सरहद पर हालात में लगातार सुधार हो रहा है. 
-कई जगहों से सैनिकों की वापसी भी हो गई है. चीन के साथ रिश्तों में लगातार बेहतरी को भी भारत की कूटनीति का शानदार नमूना बताया जा रहा है. 

चीन को भारत की दोस्ती की जरूरत क्यों?
-ट्रंप ने सत्ता में आने से पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह चीन पर टैरिफ लगाएंगे. इससे चीन को टेंशन होना लाजिमी है. ऐसे में चीन को बड़े मार्केट की तलाश है. इसमें भारत सबसे बेस्ट ऑप्शन है.
-यही वजह है पड़ोसी देश ने आर्थिक एजेंडों को मजबूती देने के लिए भारत के साथ मजबूत रिश्तों की कवायद शुरू की. 
-कई जानकारों के मुताबिक, भारत और चीन के बीच नजदीकी की शुरुआत रूस के कजान शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक से हुई. इसी बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को नॉर्मल करने की पहल की.

दुनिया भर में संकट में फंसे भारतीयों की हुई मदद
भारतीय कूटनीति की पहुंच ने दुनिया भर में परेशान भारतीय नागरिकों को भी राहत दी. यूक्रेन, यमन और सूडान में फंसे भारतीय नागरिक, प्रधानमंत्री के बनाए नज़दीकी रिश्तों के कारण मुश्किल हालात से सही सलामत निकल पाए. आज भारत एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ताकत के तौर पर स्थापित हो चुका है. जिसको शायद सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक चुनौती में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है. 

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विदेश नीति से भारत को हुए ठोस वित्तीय फायदे
नरेंद्र मोदी की विदेश नीति से भारत को ठोस वित्तीय फायदे भी हुए हैं. भारत को 1.4 अरब नागरिकों की ज़िंदगियां बेहतर करने के सपने को पूरा करने के लिए सीमाओं पर स्थिरता का रहना जरूरी है. खासकर चीन के साथ भूगौलिक-रणनीतिक रिश्ते सुधरने चाहिए. बेशक चुनौती बहुत बड़ी है. इसमें भारतीय कूटनीति की कुशलता और प्रधानमंत्री मोदी के पर्सनल टच की आज़माइश होगी.

भारत की कूटनीति पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
रणनीतिक विचारक और विदेशी मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी कहते हैं, "भारत हमेशा एक अंत्राप्रेन्योर अप्रोच फॉलो करता है. इसलिए भारत अपनी कूटनीति और विदेश नीति में एक बैलेंस पॉलिसी को अपनाता है. ये भारत के लिए जरूरी भी है. इसी के चलते भारत ने अक्टूबर 2024 में चीन के साथ अपने रिश्ते सुधारने की प्रक्रिया शुरू की है. अमेरिका के साथ भी भारत ने इसी बैलेंस अप्रोच के जरिए रिश्तों को मजबूती दी है."

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appuraja9 Appu Raja is a multifaceted professional, blending the roles of science educator, motivator, influencer, and guide with expertise as a software and application developer. With a solid foundation in science education, Appu Raja also has extensive knowledge in a wide range of programming languages and technologies, including PHP, Java, Kotlin, CSS, HTML5, C, C++, Python, COBOL, JavaScript, Swift, SQL, Pascal, and Ruby. Passionate about sharing knowledge and guiding others, Appu Raja is dedicated to inspiring and empowering learners in both science and technology.